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श्रावण मास माहात्म्य (45)

सामग्रीः कात्यायनी यंत्र एवं कात्यायनी माला|

सामग्रीः पारद शिवलिंग, रुद्राक्ष, पारद मुद्रिका एवं रुद्राक्ष माला|

‘नमः शिवाय’ मंत्र बहुत ही सीधा, सरल एवं सर्वगम्य यह मंत्र तेजस्वी एवं अत्यधिक प्रभावयुक्त क्रम में है|

साधना सामग्री : सिद्धि चक्र, सर्वकार्य सिद्धि कल्प, रुद्राक्ष माला|

सामग्रीः कार्यसिद्धि रुद्राक्ष, पारद मोती|

|| ॐ ह्रीं ऐं हर गौर्यं रुद्राय अनंग रूपाय सिद्धिप्रदाय सिद्धेश्वराय नमः ||

पहले श्रावणी सोमवार को परिवार का मुखिया साधक या घर का कोई भी सदस्य स्नान कर शुद्ध, स्वच्छ वस्त्र धारण कर किसी पात्र में केसर से ‘ॐ नमः शिवाय’ लिख दे और उस पर भगवान ‘सिद्धेश्वर’ की स्थापना कर दें|

श्रावण मास भगवान शिव का सर्वाधिक अनुकूल मास है, शिव भक्त पूरे वर्ष-भर श्रावण के महीने की प्रतीक्षा करते रहते हैं|

श्रावण मास का यह चौथा और अंतिम सोमवार भी अति महत्वपूर्ण है| सिद्धियां प्राप्त करने की दृष्टि से यह अति महत्वपूर्ण दिवस है|

श्रावण मास का यह तीसरा सोमवार अपने आप में दुर्लभ और महत्वपूर्ण है| इस सोमवार को हरियाली तीज होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है|

इस सोमवार को विलक्षण फल देने वाले योग बन रहे हैं जो कि अपने आप में महत्वपूर्ण हैं| ऐसे ही योगों से सम्पन्न होने के कारण यह सोमवार भी अति महत्वपूर्ण है|

इस सोमवार को विशेष योग बन रहे हैं| ऐसे योगों से सम्पन्न होने की वजह से यह सोमवार अपने आप में सिद्धि दिवस और सिद्धयोग बन गया है, ऐसे महत्वपूर्ण योग में निम्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रयोग सम्पन्न किए जा सकते हैं –

भगवान् शिव को रमेश्वर कहा गया है| क्योंकि यह जीवन मे रस को प्रदान करने वाले हैं और जिस व्यक्ति के जीवन में रस नहीं है उस व्यक्ति का जीवन मृत तुल्य है|

श्रावण मास भगवान शिव का प्रियामास है, जिसमे श्रद्धा से पूजा साधना करने से भगवान शिव इच्छाओं को पूर्ण कर देते हैं|

शिव बोले-हे पुत्र! मैंने जो तुम्हें श्रावण मास का माहात्म्य बतलाया है वह दूसरा कोई एक शाताब्दी में भी नहीं कर सकता है|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें श्रावण मास में किये जाने वाले कार्य विधिपूर्वक बतलाता हूं|

भगवान शिव बोले-हे पुत्र! अब मैं तुम्हें अगस्त्य-अर्घ्य विधि पूर्वक कहता हूँ| यह समस्त मनोकांक्षाओं को पूर्ण करने वाला है| अगस्त्य के उदय से पूर्व समय का निर्धारण कर लें|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब आगे मैं तुम्हें श्रावण मास में कर्क, सिंह व संक्रांति होने पर जो भी कार्य किए जाते हैं, वह सब, सविस्तार बतलाता हूँ|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! श्रावण मास की अमावस्या को जो कुछ किया जाता है|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! श्रावण मास में अमावस्या को सबके लिए सम्पत्ति प्रदायक पिठोर व्रत करना श्रेष्ठ होता है| सर्वाधिष्ठा बनने से कलश को ‘पीठ’ कहते हैं|

शिव बोले-हे सनत्कुमार! पूर्व काल में राक्षसों के अत्याचार से दुःखित हो पृथ्वी श्री ब्रह्माजी के पास गई| उसकी पुकार सुन कर ब्रह्माजी श्रीरसागर में गये|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! श्रावण मास के कृष्ण-पक्ष की अष्टमी की अर्ध रात्रि को वृष कालीन चन्द्रमा में इस योग के आने पर देवकी ने कारागृह में वासुदेव-पुत्र कृष्ण को जन्म दिया|

भगवान शिव बोले – हे सनत्कुमार! श्रावण मास की शुक्ल-पक्ष की चतुर्थी तिथि को सब प्रकार के फलों को प्राप्त करनेवाला यह काम फलदायक संकटमोचन व्रत किया जाता है|

सनत्कुमार ने पूछा-हे प्रभु! अब आप कृपा कर मुझे पूर्णमाही व्रत की विधि के बारे में विस्तार से बतलाएं इसका माहात्म्य जानने से सुनने वालों और श्रवण के इच्छुकों की चाह और बढ़ जाती है|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें त्रयोदशी व चतुर्दशी व्रत के सम्बन्ध में विस्तार से बताता हूँ|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! श्रावण मास में आने वाली दोनों एकादशियों के व्रत के लिये जो किया जाता है, वह मैं अब तुम्हें बतला रहा हूँ|

भगवान शिव बोले – हे सनत्कुमार श्रावण मास के शुक्ल-पक्ष की नवमी तिथि को यह व्रत शुरू करके अगले वर्ष के श्रावण महीने में अर्थात् बारह मास तक व्रत करके यह व्रत दशमी के दिन उद्यापन करके समाप्त करना चाहिए|

शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें पवित्रारोपण के बारे में बतलाता हूँ| हे पुत्र! श्रावण मास में शुक्ल-पक्ष की सप्तमी को अधि वासन करके अगले दिन अष्टमी को पवित्रारोपण किया जाता है|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें शीतला सप्तमी व्रत के बारे में बताता हूँ जो शीघ्र फलदायी है|

सनत्कुमार बोले-हे महाप्रभु! मैं आपके श्रीमुख से नागपंचमी व्रत की कथा सुन चुका हूँ| हे देवाधिदेव! अब आपके श्रीमुख से षष्ठी व्रत के विषय में जानना चाहता हूँ|

भगवान शिव बोले-हे महाभाग सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें श्रावण मास में शुक्ल-पक्ष की पंचमी तिथि को किये जाने वाले नागपंचमी व्रत के बारे में बतलाता हूँ|

सनत्कुमार बोले हे प्रभु! वह कौनसा व्रत है जिससे अतुल्य सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनुष्य पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्यादि प्राप्त कर अनंतकाल तक सुखी रहता है|

शिव बोले-हे वत्स! अब मैं तुम्हें श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली तृतीया तिथि को किए जाने वाले उत्तम तथा पवित्र ‘स्वर्ण-गौरी व्रत’ के बारे में बतलाता हूँ|

भगवान शिव से सनत्मकुमार ने कहा-हे प्रभु! अब मैं आपके श्रीमुख से श्रावण मास में आने वाली तिथियों का माहात्म्य जानना चाहता हूँ|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें शनिवार व्रत की कथा कहता हूँ| उससे मन्दता दूर हो जाती है|

शिव बोले – हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें शुक्रवार व्रत की कथा सुनाता हूं| ध्यानपूर्वक सुनों क्योंकि उसके श्रवण मात्र से ही प्राणी मरणोपरांत भव-बन्धन से मुक्त हो जाता है|

शिव बोले – हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें बुध तथा बृहस्पतिवार व्रत के संदर्भ में बतलाता हूँ| इस व्रत को नियम, भक्ति और श्रद्धा से पूरा करने पर सर्वोत्तम सिद्धि मिलती है|

भगवान शिव बोले-हे ब्रह्मापुत्र! अब मैं तुम्हें श्रवण के मंगलवार व्रत की कथा सुनाता हूँ| तुम एकाग्र भाव से सुनो|

सनत्कुमार बोले-हे भगवान्! आपने अति उत्तम माहात्म्य सुनाया है| अब आप मुझे श्रावण मास के सोमवार की व्रत कथा भी सुनायें|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार इस श्रावण मास में एकलिंग की स्थापना से ही भक्त को मेरा सामिप्य प्राप्त हो जाता है|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें धारण- पारण व्रत के बारे में विस्तार से बतलाऊंगा| उसे आप मन लगाकर सुनें|

सनत्कुमार बोले-हे प्रभु! आप इस श्रावण माहात्म्य के बारे में विस्तार से बतलायें| तब शिव बोले-हे महाभाग! जो श्रावण मास ‘नक्त-व्रत’ करे व्यतीत करता है वह पूरे वर्ष के नक्त व्रत का फल पाता है|

शिव बोले-हे सनत्कुमार! आप अत्यन्त विनम्र हैं| आपने जो कुछ मुझसे श्रावण-मास के बारे में जानना चाहा है, वह अब मैं तुम्हें विस्तार से बतलाता हूँ| अतः अब आप एकाग्र भाव से श्रवण करें|

शौनक ऋषि बोले-हे सूतजी! आपके द्वारा कही गई कथाओं से मुझे पूर्ण संतुष्टि नहीं हुई| अतः आप कुछ अन्य कथाएं मुझे सुनायें जिससे मेरी श्रवण तृप्ति हो जाये|