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भगवान् शिव को रमेश्वर कहा गया है| क्योंकि यह जीवन मे रस को प्रदान करने वाले हैं और जिस व्यक्ति के जीवन में रस नहीं है उस व्यक्ति का जीवन मृत तुल्य है|

श्रावण मास भगवान शिव का प्रियामास है, जिसमे श्रद्धा से पूजा साधना करने से भगवान शिव इच्छाओं को पूर्ण कर देते हैं|

शिव बोले-हे पुत्र! मैंने जो तुम्हें श्रावण मास का माहात्म्य बतलाया है वह दूसरा कोई एक शाताब्दी में भी नहीं कर सकता है|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें श्रावण मास में किये जाने वाले कार्य विधिपूर्वक बतलाता हूं|

भगवान शिव बोले-हे पुत्र! अब मैं तुम्हें अगस्त्य-अर्घ्य विधि पूर्वक कहता हूँ| यह समस्त मनोकांक्षाओं को पूर्ण करने वाला है| अगस्त्य के उदय से पूर्व समय का निर्धारण कर लें|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब आगे मैं तुम्हें श्रावण मास में कर्क, सिंह व संक्रांति होने पर जो भी कार्य किए जाते हैं, वह सब, सविस्तार बतलाता हूँ|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! श्रावण मास में अमावस्या को सबके लिए सम्पत्ति प्रदायक पिठोर व्रत करना श्रेष्ठ होता है| सर्वाधिष्ठा बनने से कलश को ‘पीठ’ कहते हैं|

शिव बोले-हे सनत्कुमार! पूर्व काल में राक्षसों के अत्याचार से दुःखित हो पृथ्वी श्री ब्रह्माजी के पास गई| उसकी पुकार सुन कर ब्रह्माजी श्रीरसागर में गये|

भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! श्रावण मास के कृष्ण-पक्ष की अष्टमी की अर्ध रात्रि को वृष कालीन चन्द्रमा में इस योग के आने पर देवकी ने कारागृह में वासुदेव-पुत्र कृष्ण को जन्म दिया|