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एक बार समुद्री जीव जब सुबह की धूप सेकने किनारे पर आए तो अपने शत्रु बगुले को एक टांग पर खड़े प्रार्थना करते देखा| आज उसने उन पर आक्रमण भी नहीं किया था|

एक शहर में एक व्यापारी रहता था| उसका व्यापार काफी दूर-दूर तक फैला हुआ था| उसके काफिले तिब्बत, आसाम, बंगाल और कश्मीर तक जाते थे| व्यापारी धन-धान्य से परिपूर्ण था| लक्ष्मी की उस पर असीम कृपा थी|

एक बार एक व्यापारी समुद्री यात्रा कर रहा था| एक दिन उसने जहाज के कप्तान से पूछा कि उसके पिता की मृत्यु किस कारण हुई थी| कप्तान ने उत्तर दिया – “श्रीमान जी! मेरे पिता जी, मेरे दादा जी और मेरे परदादा जी तीनों की मृत्यु समुद्र में डूबने से हुई|”

एक बार कुछ शिकारियों ने जब एक बकरे का पीछा किया तो वह दौड़ कर अंगूर के बाग में घुस गया और वहां एक घनी बेल के पीछे छिप गया| चूंकि शिकारी उसे खोज नहीं पाए, इसलिए वे वापस लौट गए| बकरे ने जब देखा कि शिकारी वापस चले गए हैं तो वह वृक्ष के नीचे से निकल आया और पेड़ की पत्तियां खाने लगा| कुछ ही देर में हरा-भरा पेड़ बरबाद हो गया|

एक बार कड़ाके की ठंड से एक निर्धन व्यक्ति नंगे पैर शरीर पर कपड़े लगभग न के बराबर पहने हुए, किसी राजमार्ग पर खुशी से गाता हुआ चला जा रहा था| रास्ते में उसकी भेंट एक अन्य धनी व्यक्ति से हुई| वह घोड़े पर बैठा हुआ था| उसके शरीर पर कोट, लबादा और टोपी थी| पैरों में उसने मजबूत चमड़े के जूते पहन रखे थे|

बहुत दिनों पहले की बात है कि पक्षियों ने सभा बुलाकर अपना राजा चुनने का निश्चय किया| जंगल में एक खुले मैदान में शिकारी पक्षियों को छोड़कर अन्य सभी पक्षी सभा के लिए जमा हुए|

एक बारहसिंगा था| उसकी केवल एक ही आंख थी| एक आंख होने के कारण उसके साथ समस्या यह थी कि दूसरी ओर क्या हो रहा है, इसका उसे पता नहीं चलता था|

एक बार एक उकाब ने एक खरगोश का पीछा किया| खरगोश आड़ा-तिरछा दौड़ता हुआ किसी प्रकार घनी झाड़ियों में पहुंच कर दुबक गया| उसकी जान बच गई| उसका दिल अभी तक धड़क रहा था| वह अभी संभल ही रहा था कि तभी उसने एक गौरेया को कहते सुना – “हे खरगोश! इतना भयभीत क्यों होते हो?

एक किसान था| उसके पास एक बकरा और दो बैल थे| बैलों से वह खेत जोतने का काम लेता| दोनों बैल दिन भर कड़ी मेहनत करके खेतों की जुताई करते थे|