घोड़े की आजादी – शिक्षाप्रद कथा
घोड़े पहले दूसरे जंगली जानवरों की भांति जंगलों में रहा करते थे| दूसरे जानवरों की भांति उनका भी शिकार होता था|
घोड़े पहले दूसरे जंगली जानवरों की भांति जंगलों में रहा करते थे| दूसरे जानवरों की भांति उनका भी शिकार होता था|
एक दिन एक कौआ पेड़ की ऊंची डाल पर बैठा रोटी खा रहा था| एक लोमड़ी ने उसे देखा तो उसके मुंह में पानी भर आया| उसने सोचा कि किसी प्रकार कौए से रोटी हड़पनी चाहिए|
एक पंसारी की दुकान में बहुत से चूहे रहते थे| वहां उनके खाने का भरपूर सामान था| वे रोज तरह-तरह का माल उड़ाते और मस्ती में अपने दिन काटते|
एक समय सूडान के खारतूम नाम के शहर में फजल इलाही नामक का एक सम्पन्न सौदागर रहा करता था| धन-वैभव की उसके पास कमी नहीं थी|
जंगल में एक पेड़ पर सुनहरी चिड़िया रहती थी| जब वह गाती थी तो उसकी चोंच से सोने के मोती झरते थे| एक दिन वह चिड़ीमार की नजर उस पर पड़ गई|
एक खरगोश था| उसके कई मित्र थे| घोड़ा, बैल, बकरा, भेड़ आदि| लेकिन उनकी मित्रता कितनी सच्ची है, उसे यह परखने का अवसर आज तक नहीं मिला था|
एक व्यापारी के पास एक गधा था| वह रोज सुबह अपने गधे पर नमक की बोरियां व अन्य सामान लादकर आसपास के कस्बों में बेचने जाया करता था|
एक था शेर| एक सियार उसका मंत्री था| शेर रोज अपने भोजन के लिए एक जानवर का शिकार करता था| इस शिकार में से एक हिस्सा सियार को भी मिलता था| मंत्री के रूप में सेवा करने की यही उसकी तनख्वाह थी|
एक जंगल में एक सर्प रहता था| वह रोज चिड़ियों के अंडों, चूहों, मेंढकों एवं खरगोश जैसे छोटे-छोटे जानवरों को खाकर पेट भरता था|
चार चोर थे| चारों ही मिलकर चोरी करते थे और जो भी माल मिलता था, उसे आपस में बांट लिया करते थे|