अध्याय 40
1 [वि]
यॊ ऽभयर्थितः सद्भिर असज्जमानः; करॊत्य अर्थं शक्तिम अहापयित्वा
कषिप्रं यशस तं समुपैति सन्तम अलं; परसन्ना हि सुखाय सन्तः
1 [वि]
यॊ ऽभयर्थितः सद्भिर असज्जमानः; करॊत्य अर्थं शक्तिम अहापयित्वा
कषिप्रं यशस तं समुपैति सन्तम अलं; परसन्ना हि सुखाय सन्तः
“Markandeya said, ‘And while those troops (thus withdrawn) were reposingthemselves in their quarters, many little Rakshasas and Pisachas owningRavana as their leader, penetrated amongst them.
कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना….
Dhritarashtra said,–“I regard destiny to be superior to exertion, OSanjaya, inasmuch as the army of my son is continually slaughtered by thearmy of the Pandavas.
सऊदी अरब में बुखारी नामक एक विद्वान रहते थे। वह अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर थे। एक बार वह समुद्री जहाज से लंबी यात्रा पर निकले। उन्होंने सफर के खर्च के लिए एक हजार दीनार अपनी पोटली में बांध कर रख लिए। यात्रा के दौरान बुखारी की पहचान दूसरे यात्रियों से हुई। बुखारी उन्हें ज्ञान की बातें बताते।
“Bhishma said, ‘I shall now tell thee what the means are (for conqueringthe senses) as seen with the eye of the scriptures. A person, O king,will attain to the highest end by the help of such knowledge and byframing his conduct accordingly. Amongst all living creatures man is saidto be the foremost.
“Yudhishthira said, ‘O lord of Earth, I shall do as thou biddest me. Oforemost of kings, I should be further instructed by thee. Bhishma hasascended to Heaven.
“Sauti said, ‘Then hearing of and beholding his own body, that bird ofbeautiful feathers diminished its size.’
माद्री जी मृत्यु के पश्चात वन के ऋषि-मुनियों ने कुंती और पांडवों को हस्तिनापुर ले जाकर भीष्म को सौंप दिया| हस्तिनापुर एक सुन्दर प्रदेश था और पांडु-पुत्र वहां जाने के लिए उत्सुक थे|
शिलाद नाम के एक महामनस्वी ब्राह्मण थे| उन्होंने सत्पुत्र की प्राप्ति के लिए इंद्र की उपासना की| उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इंद्र ने शिलाद से वर माँगने को कहा|