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संत एकनाथ महाराष्ट्र के विख्यात संत थे। स्वभाव से अत्यंत सरल और परोपकारी संत एकनाथ के मन में एक दिन विचार आया कि प्रयाग पहुंचकर त्रिवेणी में स्नान करें और फिर त्रिवेणी से पवित्र जल भरकर रामेश्वरम में चढ़ाएं। उन्होंने अन्य संतों के समक्ष अपनी यह इच्छा व्यक्त की। सभी ने हर्ष जताते हुए सामूहिक यात्रा का निर्णय लिया। एकनाथ सभी संतों के साथ प्रयाग पहुंचे। वहां त्रिवेणी में सभी ने स्नान किया।

एक वन में भासुरक नामक सिंह रहता था| वह अपनी शक्ति के मद में प्रतिदिन वन के अनेक पशुओं का वध कर दिया करता था| कुछ को खाकर वह अपनी भूख शांत करता और कुछ को अपनी शक्ति दर्शाने और वन में दहशत फैलाने के लिए यूँ ही मार डालता|

जिस तरह माता-पिता पुत्र के लिये परमात्मा की मूर्ति होते हैं, उसी तरह पत्नी के लिये पति परमात्मा की मूर्ति होता है| जिस तरह केवल माता-पिता की सेवा से सभी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं, उसी तरह केवल पति की सेवा से सभी सिद्धियाँ मिल जाती हैं|