अध्याय 38
1 [स]
कृतवर्मा कृपॊ दरौणिः सूतपुत्रश च मारिष
उलूकः सौबलश चैव राजा च सह सॊदरैः
कान में दर्द प्राय: बच्चों तथा प्रौढ़ों को हो जाता है| इस रोग में रोगी को बहुत तकलीफ होती है| कान में सूई छेदने की तरह रह-रहकर पीड़ा होती है|
“Sanjaya said, ‘Hearing that Karna of mighty energy was still alive,Pritha’s son Yudhishthira of immeasurable energy, exceedingly angry withPhalguna and burning with the shafts of
श्रीभरतजीका चरित्र समुद्रकी भाँति अगाध है, बुद्धिकी सीमासे परे है| लोक-आदर्शका ऐसा अद्भुत सम्मिश्रण अन्यत्र मिलना कठिन है| भ्रातृप्रेमकी तो ये सजीव मूर्ति थे|
आर्द्रक अर्थात् अदरक का अर्थ है – नमी की रक्षा करने वाली गुणकारी प्राकृतिक जड़ी| यही अदरक सूखने के बाद सोंठ बन जाती है| इसमें जितना जल होता है, उतनी ही उष्णता भी होती है|
एक आदमी के पास बहुत जायदाद थी| उसके कारण रोज कोई-न-कोई झगड़ा होता रहता था| बेचारा वकीलों और अदालत के चक्कर के मारे परेशान था|
इनका रस और विपाक कटु होता है| शीतवीर्य, मधुर, रुचिकर एवं सुगंधित है| इसी कारण यह मन को प्रफुल्लित कर देती है तथा वायु को विलीन कर, छाती, कंठ एवं आमाशय के द्रव को सुखाती है| मस्तिष्क, हृदय एवं उदर को बलशाली बनाती है| मुंह की दुर्गन्ध, मूत्र की रुकावट व पेट के अफारे को दूर करती है| आमाशय के दोषों को दूर करती है और डकारें लाकर भूख पैदा करती है| प्राय: सभी औषधि निर्माण कार्यों में यह प्रभावशाली है|
1 बृहदश्व उवाच
स मासम उष्य कौन्तेय भीमम आमन्त्र्य नैषधः
पुराद अल्पपरीवारॊ जगाम निषधान परति
“Yudhishthira said, ‘Which act, O grandsire, is the foremost of all thosethat have been laid down for a king? What is that act by doing which aking succeeds in enjoying both this world and the next?’
भूमिका:
पंजाब की माटी की सौंधी गन्ध में गूंजता एक ऐसा नाम जो धरती से उठकर आकाश में छा गया| वे ही भारतीय सन्त परम्परा के महान कवि थे जो पंजाब की माटी में जन्मे, पले और उनकी ख्याति पूरे देश में फैली| ऐसे ही पंजाब के सबसे बड़े सूफी बुल्ले शाह जी हुए हैं|