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यह रक्त, मांस, मेद तथा धातुवर्धक होती है| यह ओजकारक, रुचिकारक और तृप्तिदायक भी है| इसका नियमित सेवन हृदय के लिए भी अच्छा है| इससे प्यास दूर होकर शांति मिलती है| भोजन में इसका सेवन आवश्यक है| दस्त न रुकने पर शरीर से बहुत-सा पानी निकल जाने पर, शक्कर में थोड़ा-सा नमक मिलाकर पानी का सेवन करने से पानी की पूर्ति हो जाती है और जीवन बच जाता है| शक्कर के शरबत में नींबू का रस मिलाने से वो अधिक गुणकारी हो जाता है| आंखों की दुर्बलता दूर करने में भी यह उत्तम है|

एक बनजारा था| वह बैलों पर मेट (मुल्तानी मिट्टी) लादकर दिल्ली की तरफ आ रहा था| रास्तों में कई गाँवों से गुजरते समय उसकी बहुत-सी मेट बिक गयी| बैलों की पीठ पर लदे बोर आधे तो खाली हो गये और आधे भरे रह गये|

एक गांव में देवशंकर नाम का एक पण्डित रहता था| उसके यहां एक बार पुत्र ने जन्म लिया| ठीक उसी औरत के साथ ही नेवले ने भी एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन वह नेवली बेचारी बच्चे को जन्म देते ही मर गई|