अध्याय 229
1 [वयास]
अथ जञानप्लवं धीरॊ गृहीत्वा शान्तिम आस्थितः
उन्मज्जंश च निमज्जंश च जञानम एवाभिसंश्रयेत
1 [वयास]
अथ जञानप्लवं धीरॊ गृहीत्वा शान्तिम आस्थितः
उन्मज्जंश च निमज्जंश च जञानम एवाभिसंश्रयेत
“Bhishma said, ‘Beholding his disciple returned from his mission,Devasarman of great energy addressed him in words which I shall recite tothee O king!’
पेट में दर्द होने पर बच्चा अत्यंत व्याकुल हो जाता है| वह बार-बार रोता और चिल्लाता है| कभी-कभी कुछ बच्चों के पेट गैस से फूल जाते हैं|
एक बार काशी नरेश ने कौशल राज्य पर आक्रमण करके वहां के राजा को पराजित कर दिया। कौशल नरेश अपने प्राण बचाने के लिए घने जंगल में जाकर छिप गए। उन्हें पकड़कर लाने वाले को काशी नरेश ने स्वर्ण मुद्राएं पुरस्कार में देने की घोषणा की।
“Bhishma said, ‘In this connection, viz., the method by which a kingshould fill his treasury, persons acquainted with the scriptures of oldendays cite the following verses sung by Brahman himself.
1 शरीभगवान उवाच
अभयं सत्त्वसंशुद्धिर जञानयॊगव्यवस्थितिः
दानं दमश च यज्ञश च सवाध्यायस तप आर्जवम
“Sanjaya said, ‘At this time Duryodhana, under the influence of wrath,approached Drona and addressing him said these words, for inspiring himwith joy and provoking his anger.’
नुस्खा – हींग, कालीमिर्च, अजवायन, छोटी हरड़, शुद्ध सज्जीखार तथा सेंधा नमक – सभी चीजें बराबर की मात्रा में लेकर कूट-पीस लें| फिर इसे तीन बार कपड़े से छानें| अब शीशी में बंद करके रख लें|