अध्याय 4
1 [वै]
एतच छरुत्वा महाराज धृतराष्ट्रॊ ऽमबिका सुतः
अब्रवीत संजयं सूतं शॊकव्याकुल चेतनः
“‘Duryodhana said, “Listen, once more, O ruler of the Madras, to what Iwill say unto thee, about what happened, O lord, in the battle betweenthe gods and the Asuras in days of yore.
भूमिका:
अब्दुल रहीम खानखाना का नाम हिन्दी साहित्य जगत में महत्वपूर्ण रहा है| इनका नाम साहित्य जगत में इतना प्रसिद्ध है कि इन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है|
19वीं शताब्दी के भारतीय संतो, सुधारकों और चिन्तकों में स्वामी रामतीर्थ की गिनती की जाती है| उन्हें ‘बादशाह राम’ के नाम से उनके समय की जनता पुकारती थी| वह एक बार देशाटन करते हुए ऋषिकेश पहुँचे|
1 [लॊमष]
ते तं दृष्ट्वा हयं राजन संप्रहृष्टतनू रुहाः
अनादृत्य महात्मानं कपिलं कालचॊदिताः
संक्रुद्धाः समधावन्त अश्वग्रहण काङ्क्षिणः
1 [भरद्वाज]
दानस्य किं फलं पराहुर धर्मस्य चरितस्य च
तपसश च सुतप्तस्य सवाध्यायस्य हुतस्य च
किसी होटल के मालिक ने एक लड़का नौकर रखा| उसकी उम्र अधिक नहीं थी| वह लड़का बड़ा भला और भोला था, बहुत ही ईमानदार और मेहनती था| एक दिन वह लड़का शीशे के गिलास धो रहा था|
“Vaisampayana said, ‘That foremost of speakers, the sage Narada, thusquestioned, narrated everything about the manner in which he who wasbelieved to be a Suta’s son had been cursed (in former days).’
एक समय की बात है-एक बहुत ही भोला -भोला दंपति था| पति-पत्नी, दोनों ही इतने ज्यादा भोले थे कि कई बार तो उनके निपट मुर्ख होने का भी सन्देह होता था|