Home2011September (Page 51)

एक बार एक राजा ने अपने मंत्री से कहा, ‘मुझे इन चार प्रश्नों के जवाब दो। जो यहां हो वहां नहीं, दूसरा- वहां हो यहां नहीं, तीसरा- जो यहां भी नहीं हो और वहां भी न हो, चौथा- जो यहां भी हो और वहां भी।’

त्याग-तपस्या का हमारे देश में सदा आदर-सम्मान रहा है| साथ ही त्यागी-तपस्वी भी ऐसे रहे हैं जो घोर दरिद्रता में रहे, परंतु कभी किसी के सामने उन्होंने हाथ नहीं पसारा|