Home2011August (Page 50)

कदीशा की घाटी में, जिसमें होकर एक वेगवती नदी बहती थी, दो छोटे-छोटे जल प्रवाह आ मिले और परस्पर बातचीत करने लगे। एक जल प्रवाह ने पूछा- मेरे मित्र! तुम्हारा कैसे आना हुआ, रास्ता ठीक था न? दूसरे ने उत्तर दिया- रास्ते की न पूछो बड़ा ही बीहड़ था।

एक बार की बात है भारतीय दूरदर्शन या टेलीविजन का पहला कार्यक्रम था| टेली-क्लब के सदस्य एवं कुछ आमंत्रित एकत्रित हुए थे| प्रोड्यूसर श्री देशपांडे ने कार्यक्रम की पूरी तैयारी की हुई थी, पर सारा कार्यक्रम जम नहीं रहा था|

चलते-चलते पांडवों एकचक्र नामक नगर पहुंचे| वहां एक गरीब ब्राह्मण के घर उन्हें शरण मिली| धीरे-धीरे दिन गुजर रहे थे| एक दिन कुंती ने ब्राह्मण और ब्राह्मणी को विलाप करते देखा और पूछा, “आप इतने दुखी क्यों हैं?” ब्राह्मणी ने उत्तर दिया, “इस नगरी के पास बका नामक एक राक्षस रहता है|

एक बार ऋषियों ने सूत जी से पूछा- ‘भगवान्! आप ऐसा उपाय बताएँ, जिससे सभी पापों से छुटकारा मिल जाए, अलक्ष्मी (दरिद्रा) छोड़ कर चली जाए और निरंतर लक्ष्मी का निवास हो|’ सूत जी ने कहा- ‘ऋषियों! इसके लिए मनुष्य को निरंतर विहित कर्म करते हुए भगवान् के नाम का जप करना चाहिए|