Home2011August (Page 52)

रसायनशास्त्री नागार्जुन एक राज्य के राज वैद्य थे। एक दिन उन्होंने राजा से कहा, ‘मुझे एक सहायक की जरूरत है।’ राजा ने उनके पास दो कुशल युवकों को भेजा और कहा कि उनमें से जो ज्यादा योग्य लगे उसे रख लें। नागार्जुन ने दोनों की कई तरह से परीक्षा ली पर दोनों की योग्यता एक जैसी थी। नागार्जुन दुविधा में पड़ गए कि आखिर किसे रखें।

पांडव जलते हुए लाक्षागृह से बचकर, सुरंग के रास्ते, अधंकार में चलते रहे और गंगा नदी के तट पर जा पहुँचे| वहां विदुर द्वारा भेजा हुआ नाविक उनकी प्रतीक्षा कर रहा था| नदी पार करने के बाद उन सबको दूर तक पैदल चलना पड़ा| कुंती जब थक जातीं तब विशालकाय भीम उन्हें कन्धों पर उठा लेते| भीम इतने शक्तिशाली थे कि कई बार वे चारों भाइयों और कुंती को एक साथ उठा लेते थे|

हृदय रोग से ज्यादातर वे लोग पीड़ित होते हैं जो दिनभर गद्दी पर बैठे रहते हैं और हर समय अनाप-शनाप खाते-पीते हैं| इस रोग के शुरू में साधारण दर्द होता है| फिर धीरे-धीरे रोग बढ़ जाता है जो सम्पूर्ण हृदय को जकड़ लेता है| यह रोग होने पर बड़ी बेचैनी रहती है| अचानक हृदय में पीड़ा उठती है और फिर सारा शरीर जकड़ जाता है| रोगी की सांस रुक-रुककर बड़ी तेजी से चलने लगती है| बेचैनी के साथ-साथ हाथ-पैरों में शिथिलता शुरू हो जाती है| यदि तुरन्त इस दौरे की चिकित्सा नहीं की जाती तो रोगी की मृतु तक हो सकती है|

त्रेतायुग में कौशिक नाम के एक ब्राहमण थे| भगवान् में उनका अत्यधिक अनुराग था| खाते-पीते, सोते-जागते प्रतिक्षण उनका मन भगवान् में लगा रहता था| उनकी साधना का मार्ग था संगीत| वे भगवान् के गुणों और चरित्रों को निरंतर गाया करते थे| ये सभी गान प्रेमार्द्र-ह्रदय से उपजे होते थे|

कौशिक के स्वागत-समारोह में नारद जी को जो लक्ष्मी-नारायण के समीप से दूर हटाया गया था और उनकी जगह तुम्बुरु को बैठाया गया था, वह नारद जी को बहुत ही खला| वे समझ गए कि मेरा इतना बड़ा अध्ययन, इतनी बड़ी तपस्या आदि सब कुछ संगीत के सामने तुच्छ- सा हो गया| इस पर वे भी संगीत के ज्ञान के लिए उत्सुक हो गए और घोर तप करने लगे|