Home2011August (Page 46)

ग्यान कहै अग्यान बिनु तम बिनु कहै प्रकास|
निरगुन कहै जो सुगन बिनु सो गुरु तुलसीदास||

किसी छोटे से गाँव में, एक किसान को बदकिस्मती से गाँव के साहूकार से कुछ धन उधार लेना पड़ा। बूढा साहूकार बहुत चालाक और धूर्त था, उसकी नज़र किसान की खूबसूरत बेटी पर थी। अतः उसने किसान से एक सौदा करने का प्रस्ताव रखा। उसने कहा कि अगर किसान उसकी बेटी की शादी साहूकार से कर दे तो वो किसान का सारा कर्ज माफ़ कर देगा। किसान और उसकी बेटी, साहूकार के इस प्रस्ताव से कंपकंपा उठे।

राजा धृतराष्ट्र ने विवश होकर निश्चय किया की वे भीष्म की सलाह मानेंगे| उन्होंने विदुर को भेजकर पांडवों को हस्तिनापुर में रहने के लिए आमंत्रित किया| पांडव, माता कुंती और कृष्ण के साथ हस्तिनापुर आ गए|

हमारे यहाँ शास्त्रोंमें अहल्या, मन्दोदरी, तारा, कुन्ती और द्रौपदी – ये पाँचों देवियाँ नित्य कन्याएँ कही गयी हैं| इनका नित्य स्मरण करनेसे मनुष्य पापमुक्त हो जाता है| महारानी कुन्ती वसुदेवजीकी बहन और भगवान् श्रीकृष्णकी बुआ थीं|

प्राचीन काल में अश्वशिरा नामक एक परम धार्मिक राजा थे| उन्होंने अश्वमेघ यज्ञ के द्वारा भगवान् नारायण का यजन किया था, जिसमें बहुत बड़ी दक्षिण बाँटी गई| यज्ञ की समाप्ति पर राजा ने अवभृथ-स्नान किया| इसके पश्चात् वे ब्रह्मणों से घिरे हुए बैठे थे, उसी समय भगवान् कपिल देव वहाँ पधारे|