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रैदास नाम के एक बड़े भगवद्भक्त थे| वे काशी में रहते थे| गंगा के घाट के पास ही उनकी झोंपड़ी थी, जिसमें वे अपनी पत्नी के साथ रहते थे और झोंपड़ी के बाहर बैठकर जूते गांठते रहते थे|

यह घटना उस समय की है, जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन मद्रास के एक ईसाई मिशनरी स्कूल के छात्र थे। वह बचपन से बेहद कुशाग्र एवं तीव्र बुद्धि के थे। कम उम्र में ही उनकी गतिविधियां व उच्च विचार लोगों को हैरानी में डाल देते थे।