श्री वैष्णों देवी की गुफा में होने वाली आरती – Shri Vashno Devi Ki Gufa Main Hone Wali Aarti
हे मात मेरी, हे मात मेर,
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे | हे ….
हे मात मेरी, हे मात मेर,
कैसी यह देर लगाई है दुर्गे | हे ….
“Markandeya continued, The planets with their satellites, the Rishis andthe Mothers, Agni and numerous other blazing courtiers and many otherdwellers of heaven of terrible mien, waited on Mahasena along with theMothers.
बहुत पुरानी बात है। एक राजा था। उसके पास एक दिन एक संत आए। उन्होंने कई विषयों पर चर्चा की। राजा और संत में कई प्रश्नों पर खुलकर बहस भी हुई। अचानक बातों ही बातों में संत ने अधिकार की रोटी की चर्चा की। राजा ने इसके बारे में विस्तार से जानना चाहा तो संत ने उसे एक बुढ़िया का पता दिया और कहा कि वही उसे इसकी सही जानकारी दे सकती है।
एक दिन इंद्र की सभा में विश्वामित्र और वशिष्ठ के आलावा देवगण, गंधर्व, पितर और यक्ष आदि बैठे हुए चर्चा कर रहे थे की इस धरती पर सबसे बड़ा दानी, धर्मात्मा और सत्यवादी कौन है?
श्रीलक्ष्मणजी शेषावतार थे| किसी भी अवस्थामें भगवान् श्रीरामका वियोग इन्हें सहा नहीं था| इसलिये ये सदैव छायाकी भाँति श्रीरामका ही अनुगमन करते थे| श्रीरामके चरणोंकी सेवा ही इनके जीवनका मुख्य व्रत था|