भक्त प्रहलाद जी (Bhagat Prhlad Ji)
आदिकाल में दैत्य तथा देवता भारतवर्ष में नवास करते थे| उत्तराखण्ड में श्री राम चन्द्र के अवतार से पूर्व भक्त प्रहलाद का जन्म अत्याचारी दैत्य राजा हिरनाक्श के शासनकाल में हुआ| इस भक्त की महिमा अपरंपार है|
आदिकाल में दैत्य तथा देवता भारतवर्ष में नवास करते थे| उत्तराखण्ड में श्री राम चन्द्र के अवतार से पूर्व भक्त प्रहलाद का जन्म अत्याचारी दैत्य राजा हिरनाक्श के शासनकाल में हुआ| इस भक्त की महिमा अपरंपार है|
“Vaisampayana said, ‘Having despatched the priest to the city calledafter the elephant they sent messengers to the kings of variouscountries.
सूअर के अन्तर्धान होते ही राजा हरिश्चंद्र सोच में पड़ गए, ‘यह कैसी माया है? मनुष्य की बोली बोलने वाला वह सूअर कौन था?’
“The fowler continued, ‘Thus cursed by that rishi, I sought to propitiatehim with these words: ‘Pardon me, O muni, I have done this wicked deedunwittingly.
एक संत किसी गांव में पहुंचे। गांव के लोगों के आग्रह पर वह वहीं एक कुटिया बनाकर रहने लगे। उनका खाना जमींदार के घर से आता था। एक दिन जमींदार की पत्नी ने उन्हें अपने घर ठहरने को कहा।
स्वस्थ वीर्य हिमानुश्य का पुरुषार्थ है| स्त्री-भोग का आनंद स्तम्भन शक्ति में निहित है| बहुत अधिक मैथुन करने, असमय मैथुन करने, खट्टे, कड़वे, रूखे, कसैले, खारे एवं चटपटे पदार्थ खाने, मानसिक तनाव रखने तथा अप्राकृतिक साधनों से वीर्य त्यागने पर ही व्यक्ति में नपुंसकता उत्पन्न होती है|
1 [मार्क]
गुरुभिर नियमैर युक्तॊ भरतॊ नाम पावकः
अग्निः पुष्टिमतिर नाम तुष्टः पुष्टिं परयच्छति
भरत्य एष परजाः सर्वास ततॊ भरत उच्यते