Home2011May (Page 9)

एक गांव में एक नाई रहता था | उसका काम था लोगों की इजामत बनाना | उसकी एक बुरी आदत थी कि उसके पेट में कोई बात पचती नहीं थी | अत: इधर की बातें उधर बताने का उसे शौक था |

हरिश्चंद्र ने पीछे मुड़कर देखा तो वंहा अपने स्वामी चाण्डाल को खड़ा पाया, जो मुस्कुराते हुए कह रहा था, “हरिश्चंद्र! तुम अपनी परीक्षा में सफल रहे|”

मेवाड़ के महाराणा अपने एक नौकर को हमेशा अपने साथ रखते थे, चाहे युद्ध का मैदान हो, मंदिर हो या शिकार पर जाना हो। एक बार वह अपने इष्टदेव एकलिंग जी के दर्शन करने गए। उन्होंने हमेशा की तरह उस नौकर को भी साथ ले लिया।