अध्याय 8
1 [वैषम्पायन]
अथार्जुन उवाचेदम अधिक्षिप्त इवाक्षमी
अभिनीततरं वाक्यं दृढवादपराक्रमः
1 भीष्म उवाच
शिखण्डिवाक्यं शरुत्वाथ स यक्षॊ भरतर्षभ
परॊवाच मनसा चिन्त्य दैवेनॊपनिपीडितः
भवितव्यं तथा तद धि मम दुःखाय कौरव
एक राजा बेहद विलासी स्वभाव का था| उसे न प्रजा के सुख-दुख की चिंता थी और न राजकाज की| उसका सारा दिन अपने लिए सुख-सुविधाओं की व्यवस्था करने-करवाने में ही बीत जाता था|
“Vaisampayana said, ‘After Vyasa had gone away, those bulls among men,the Pandavas, saluted the Brahmana and bade him farewell, and proceeded(towards Panchala) with joyous hearts and with their mother walkingbefore them.
पहले महायुद्ध के दिनों की बात है| सन् 1918 के प्रारंभिक दिनों में उत्तराखंड-गढ़वाल में भयंकर दुर्भिक्ष पड़ा| कुछ समाचार पत्रों में उत्तराखंड-गढ़वाल में दुर्भिक्ष फैलने के समाचार प्रकाशित हुए|
“Dhritarashtra said, ‘O Vidura, Janardana hath set out from Upaplavya. Heis now staying at Vrikasthala and will come here tomorrow.
“Lomasa said, ‘One day in the month of Chaitra, while fearlesslywandering at large, Yavakri approached the hermitage of Raivya.
अर्जुन कुंती का सबसे छोटा पुत्र था| इसके पिता का नाम पाण्डु था, लेकिन वास्तविक पिता तो इसका इंद्र था| पाण्डु रोगग्रस्त था और पुत्र पैदा करने की उसमें सामर्थ्य नहीं थी|
भीमसेन कुंती का दूसरा पुत्र था| इसका जन्म पवन देवता के संयोग से हुआ था, इसी कारण इसमें पवन की-सी शक्ति थी| इसके उदर में वृक नामक तीक्ष्ण अग्नि थी, इसीलिए इसका नाम वृकोदर भी पड़ा|
बहरापन एक गंभीर रोग है| इससे छुटकारा पाने के लिए तुरंत ही उपचार करना चाहिए| यह बीमारी कमजोर लोगों तथा असामान्य मस्तिष्क वाले व्यक्तियों को अधिक होती है| इस बीमारी होते ही उसके कारणों को जानकर ही उचित उपचार करना चाहिए|