अध्याय 179
1 भीष्म उवाच
ततॊ माम अब्रवीद रामः परहसन्न इव भारत
दिष्ट्या भीष्म मया सार्धं यॊद्धुम इच्छसि संगरे
1 भीष्म उवाच
ततॊ माम अब्रवीद रामः परहसन्न इव भारत
दिष्ट्या भीष्म मया सार्धं यॊद्धुम इच्छसि संगरे
“Vaisampayana said, ‘Those mighty car-warriors, the heroic Pandavas, thenwent, O king, from forest to forest killing deer and many animals (fortheir food).
कर्ण की उम्र सोलह-सत्रह वर्ष की हो चुकी थी| सारे हस्तिनापुर में वह प्रसिद्ध था| घर-घर में उसके संबंध में चर्चा होती थी – अधिरथ सारथि का पुत्र बड़ा विचित्र है|
“Janamejaya said, ‘When good Sanjaya (leaving the Pandava camp) went backto the Kurus, what did my grandsires, the sons of Pandu, then do? Oforemost of Brahmanas, I desire to hear all this. Tell me this,therefore.’
Vaisampayana said, “Then contracting that huge body of his, which he hadassumed at will, the monkey with his arms again embraced Bhimasena. And OBharata, on Bhima being embraced by his brother, his fatigue went off,and all (the powers of body) as also his strength were restored.
एक बार एक सिंह के पैर में मोटा बड़ा काँटा चुभ गया| सिंह ने दाँत से बहुत नोचा; किंतु काँटा निकला नहीं| वह लँगड़ाता हुआ एक गड़रिये के पास पहुँचा| अपने पास सिंह को आते देख गड़रिया बहुत डरा|
Vaisampayana said, “The magnanimous monarch pursued his journey, and atdifferent spots on the shore of the sea visited the various bathingplaces, all sacred and pleasant and frequented by men of the sacerdotalcaste.
प्रकृति ने मनुष्य पर एक असीम कृपा की है अर्थात् उसने मनुष्य के मस्तिष्क को संतुलिन रखने के लिए एक अपर मस्तिष्क की रचना की, जो मनुष्य मस्तिष्क की क्षतिपूर्ति करे, उसे सशक्त बना सके! अखरोट की गिरी को देखने के बाद पता चलेगा कि आपने मनुष्य का मस्तिष्क ही हाथ में ले लिया है| दोनों की आकृति में कोई अंतर नहीं है| अखरोट में ऐसे तत्त्व भरे पड़े हैं, जो मनुष्य के मस्तिष्क को संतुलित एवं सक्षम बनाए रखने में अद्वितीय हैं|
“Vaisampayana said, ‘There occurred a great battle between thediadem-decked Arjuna and the hundreds of Saindhavas who still lived afterthe slaughter of their clan (on the field of Kurukshetra).