अध्याय 12
1 [जनम]
एवं मत्स्यस्य नगरे वसन्तस तत्र पाण्डवाः
अत ऊर्ध्वं महावीर्याः किम अकुर्वन्त वै दविज
1 [जनम]
एवं मत्स्यस्य नगरे वसन्तस तत्र पाण्डवाः
अत ऊर्ध्वं महावीर्याः किम अकुर्वन्त वै दविज
“Lomasa continued, ‘Listen now, O Yudhishthira, to what Dhananjaya hathsaid: ‘Cause my brother Yudhishthira to attend to the practice of virtuewhich leadeth to prosperity.
चौदह वर्ष के वनवास के दौरान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण पंचवटी में एक पर्णकुटी बनाकर रह रहे थे। एक दिन रावण की बहन राक्षसी शुर्पणखा आकाश मार्ग से उस ओर से गुजर रही थी तभी वह श्रीराम और लक्ष्मण के सुंदर और मोहक रूप को देखकर मोहित हो गई। वह तुरंत ही जमीन पर उतर आई और अतिसुंदर स्त्री का रूप बना लिया।
बीरबल दरबार में पान चबाता हुआ पाया| यह देखकर बादशाह अकबर नाराज होकर बोले – “बीरबल, यह दरबार है और तुम यहां पान चबाते हुए आ गए, अब पीक भी थूकोगे, यहां गंदा करोगे|”
चंद्रिका नगर के निवासी लालाराम नामक बनिये का लड़का सौ रूपये मूल्य की एक पुस्तक खरीद लाया| उस पुस्तक में एक स्थान पर लिखा था कि मनुष्य अपने भाग्य का लिखा तो बड़ी ही आसानी से पा लेता है, लेकिन जो भाग्य में नही लिखा होता उसे जी-तोड़ परिश्रम करने के उपरांत भी पाने में असमर्थ रहता है|
1 These are the statutes and the ordinances which ye shall observe to do in the land which Jehovah, the God of thy fathers, hath given thee to possess it, all the days that ye live upon the earth.
1 [य]
न मां परीणयते राज्यं तवय्य एवं दुःखिते नृप
धिन माम अस्तु सुदुर्बुद्धिं राज्यसक्तं परमादिनम
तुम कहाँ छुपे भगवान करो मत देरी |
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ||