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प्राचीन समय की बात है| अनेक वर्षों तक गुरु चाणक्य ने चंद्रगुप्त को अनेक विधाएँ सिखाने के बाद सैन्य संचालन और युद्ध-विद्या की शिक्षा दी| उन्होंने जब देखा कि चंद्रगुप्त सैन्य-संचालन में योग्य हो गया है, तब उन्होंने संचित धन से सेना एकत्र की|