साहसी किशोर
शिकागो के ‘विश्व धर्म सम्मेलन’ में ‘भाइयों और बहनों’ के उद्बोधन से एवं अपनी वक्तृत्व- शक्ति के सम्मोहन से मुग्ध करने वाले स्वामी विवेकानंद की अपने देशवासियों से माँग थी कि उन्हें सब देवी-देवताओं को छोड़कर एक भाव भारत माता की पूजा एवं समुन्नती के लिए प्रयत्नशील हो जाना चाहिए|