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पेड़ की मूर्खता

पेड़ की मूर्खता

दो पेड़ अगल-बगल में थे और उनमें गहरी मित्रता थी| जिस जंगल में यह दोनों पेड़ थे उसी जंगल में कुछ खूंखार शेर भी थे| वे प्रायः जानवरों का शिकार करते और बचा-खुचा माँस और हडिड्याँ वहीं छोड़ देते| जिससे वहाँ का वातावरण दूषित हो गया था|

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एक पेड़ इस दूषित वातावरण से बहुत परेशान था| एक दिन उसने अपने मित्र से कहा, ‘इन जंगली जानवरों ने तो सारा वातावरण ही दूषित कर रखा है| इन्हें इस जंगल से निकालना ही पड़ेगा|’

दूसरे पेड़ ने कहा, ‘मित्र! यह गलती मत करना| इन्हीं जानवरों की वजह से हम सुरक्षित है|’

पेड़ नही माना और उसने जंगल के सभी जानवरों को वहाँ से भगाने की ठान ली|

एक रात उस वृक्ष ने ज़ोर-ज़ोर से हिलकर भयंकर आवाजें निकाली| यह सब देखकर जंगल के सभी जानवर डर गए| उन्हें लगा कि प्रलय आ गई है| सभी अपनी जान बचाकर वहाँ से भाग गए पेड़ बहुत खुश हुआ और अपने मित्र से बोला, ‘सारे जानवर भाग गए| अब हम चैन से रह सकेंगे, न गंदगी न ही कोई बदबू|’

उसके मित्र पेड़ ने कहा, ‘देखो! कब तक चैन से रहते है|’

कुछ दिनों बाद एक व्यक्ति अपनी गाय का पीछा करते-करते उस जंगल में आ पहुँचा| जंगल में छाई वीरानी को देखकर उसने महसूस किया कि शायद जंगल में कोई भी जानवर नही है| उसने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई| उसे केवल पेड़-ही-पेड़ नज़र आ रहे थे|

गाँव लौटकर उसने गाँव वालों से उस जंगल के बारे में चर्चा की| अगले दिन गाँव के कुछ बड़े-बुजुर्ग उस व्यक्ति के साथ जंगल में पहुँचे| उन्हें हैरानी हुई कि जंगल जानवरों से मुक्त है|

उनमें से एक बोला, ‘अब हमें लकड़ी की कोई कमी नही होगी| यहाँ से जितने चाहे वृक्ष काटे जा सकते है|’

यह बात सुनकर पेड़ ने अपने मित्र से कहा, “देखा! इसलिए मैं कह रहा था कि यहाँ से जानवरों को मत भगाओ…अब भुगतो नतीजा|’

‘तुम चिंता मत करो| जैसे मैंने जानवरों को भगाया था वैसे ही मैं इन मनुष्यों को भी भगा दूँगा|’ दूसरे पेड़ ने गर्व से कहा|

उसने फिर से ज़ोर-ज़ोर से भयंकर आवाजें निकाली, पर मनुष्य नही डरे| एक बुजुर्ग ने सबको समझाते हुए कहा, ‘तेज़ हवा जब पत्तों से टकराती है तो ऐसी ही आवाजें आती है| तुम लोग चिंता न करो और कल से ही पेड़ों को काटने का काम शुरू कर दो|’

यह सुनकर वह पेड़ रो पड़ा| उसे रोते देख उसके मित्र ने कहा, “अब रोने से क्या फ़ायदा| जो होना है वह तो होकर ही रहेगा| तुम्हारी मूर्खता का नतीजा जंगल के सभी पेड़ों को भुगतना पड़ेगा|


कथा-सार

मूर्ख व घमंडी से मित्रता करने पर लाभ कभी नही हो सकता| वह अपनी हरकतों से स्वंय तो मुसीबत झेलता ही है, अपने संगी-साथियों को भी ले डूबता है| मूर्ख पेड़ यदि अपने साथी की बात मान लेता तो यह नौबत ही नहीं आती कि गाँव वाले पेड़ काटने की जुर्रत कर पाते| अतः मूर्ख का संग कदापि न करें|