सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 6 शलोक 1 से 47
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 6 शलोक 1 से 47
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 6 शलोक 1 से 47
राम सुना दुखु कान न काऊ। जीवनतरु जिमि जोगवइ राऊ॥
पलक नयन फनि मनि जेहि भाँती। जोगवहिं जननि सकल दिन राती॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 7 शलोक 1 से 30
केवट कीन्हि बहुत सेवकाई। सो जामिनि सिंगरौर गवाँई॥
होत प्रात बट छीरु मगावा। जटा मुकुट निज सीस बनावा॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 8 शलोक 1 से 28
कृपासिंधु बोले मुसुकाई। सोइ करु जेंहि तव नाव न जाई॥
वेगि आनु जल पाय पखारू। होत बिलंबु उतारहि पारू॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 9 शलोक 1 से 25
उतरु न देइ दुसह रिस रूखी। मृगिन्ह चितव जनु बाघिनि भूखी॥
ब्याधि असाधि जानि तिन्ह त्यागी। चलीं कहत मतिमंद अभागी॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 10 यथारूप हिन्दी, इंग्लिश व संस्कृत मे पीडीएफ के साथ
श्लोक– यस्याङ्के च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके
भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट्।