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गोपालराव गुंड की एक इच्छा तो पूर्ण हो गई थी| उसी तरह उनकी एक और इच्छा भी थी कि मस्जिद का पुनर्निर्माण का कार्य भी कराना चाहिए| अपने इस विचार को साकार रूप देने के लिए उन्होंने पत्थर इकट्टा करके उन्हें वर्गाकार बनवाया था, लेकिन इस कार्य का श्रेय उन्हें प्राप्त नहीं हुआ| शायद बाबा की इच्छा न थी| मस्जिद के पुनर्निर्माण का श्रेय नाना साहब चाँदोरकर को मिला और आंगन के कार्य का श्रेय काका साहब दीक्षित को मिला| बाबा की शायद यही इच्छा थी कि यह कार्य इन कार्यों को अनुमति नहीं दी थी|