सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 8 शलोक 1 से 28
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 8 शलोक 1 से 28
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 8 शलोक 1 से 28
कृपासिंधु बोले मुसुकाई। सोइ करु जेंहि तव नाव न जाई॥
वेगि आनु जल पाय पखारू। होत बिलंबु उतारहि पारू॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता – अध्याय 9 शलोक 1 से 25
उतरु न देइ दुसह रिस रूखी। मृगिन्ह चितव जनु बाघिनि भूखी॥
ब्याधि असाधि जानि तिन्ह त्यागी। चलीं कहत मतिमंद अभागी॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 10 यथारूप हिन्दी, इंग्लिश व संस्कृत मे पीडीएफ के साथ
श्लोक– यस्याङ्के च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके
भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट्।
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 11 शलोक 1 से 55
देव पितर पूजे बिधि नीकी। पूजीं सकल बासना जी की॥
सबहिं बंदि मागहिं बरदाना। भाइन्ह सहित राम कल्याना॥
सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 12 शलोक 1 से 20
गरजहिं गज घंटा धुनि घोरा। रथ रव बाजि हिंस चहु ओरा॥
निदरि घनहि घुर्म्मरहिं निसाना। निज पराइ कछु सुनिअ न काना॥