HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 87)

नौआखाली के दिनों की बात है| वहां गांधीजी की पद-यात्रा चल रही थी| एक दिन गांधीजी देवीपुर नामक ग्राम में पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया| ध्वज-तोरण, पताका आदि से सजावट की गई| गांधीजी ने वह सब देखा तो बड़े गंभीर हो गए, पर उस दिन मौनवार होने के कारण बोले कुछ नहीं| शाम को मौन समाप्त होने पर उन्होंने मुख्य कार्यकर्ता को बुलाकर पूछा – “आप ये चीजें कहां से लाए?”

यादवों के राज्य में लगभग इसी समय एक नन्हे बालक ने कारागृह में जन्म लिया| बालक के पिता वासुदेव और माता देवकी यादवों के राजा और रानी थे| कंस देवकी का भाई था| एक भविष्यवाणी के अनुसार कि देवकी की आठवी संतान कंस की मृत्यु का कारण बनेगी, कंस इससे बहुत भयभीत हो गया| और वासुदेव को कारागृह में डलवा दिया|

भगवान् शंकर की भक्ति से मनुष्य में इतनी सामर्थ्य आ जाती है कि वह देवों को भी अभिभूत कर सकता है| विप्र दधीच भगवान् शंकर के उत्तम भक्त थे| वे भस्म धारण करते थे और सदा भगवान शंकर का स्मरण किया करते थे| राजा क्षुप इनके मित्र थे| ये क्षुप कोई साधारण राजा नही थे| असुरों के युद्ध में इनसे इंद्र सहायता लेते रहते थे|

तपस्वी जाजलि श्रद्धापूर्वक वानप्रस्थ धर्म का पालन करने के बाद खडे़ होकर कठोर तपस्या करने लगे। उन्हें गतिहीन देखकर पक्षियों ने उन्हें कोई वृक्ष समझ लिया और उनकी जटाओं में घोंसले बनाकर अंडे दे दिए। अंडे बढे़ और फूटे, उनसे बच्चे निकले। बच्चे बड़े हुए और उड़ने भी लगे। एक बार जब बच्चे उड़कर पूरे एक महीने तक अपने घोंसले में नहीं लौटे, तब जाजलि हिले। वह स्वयं अपनी तपस्या पर आश्चर्य करने लगे और अपने को सिद्ध समझने लगे।

अंबिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य से हो गया और वे हस्तिनापुर में रहने लगीं| अंबिका के एक पुत्र हुआ, जिसका नाम था धृतराष्ट्र| और अम्बालिका के पुत्र का नाम रखा गया पांडु| दासी-उतर विदुर भी धृतराष्ट्र और पांडु के भाई थे| वे अपने चातुर्य, ज्ञान और सत्यनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध हुए|

भगवान् सूर्य उत्पत्ति के समय एक प्रकाशमय विशाल गोलाकार वृत के रुप में थे, उनका एक नाम मार्तण्ड है| देवशिल्पी विश्वकर्मा ने अपनी पुत्री संज्ञा का विवाह उनके साथ कर दिया था|

किसी कस्बे में दो आदमी रहते थे| एक का नाम था प्रेम दूसरे का नाम विनय| दोनों के घर आमने-सामने थे| एक दिन संयोग से किसी बात पर उनमें तनातनी हो गई| बात छोटी-सी थी, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ गई| दोनों ही बेहद उत्तेजित हो उठे| प्रेम आपे से बाहर हो गया| वह बोला – “शैतान के बच्चे, तेरी अकल घास चरने चली गई है|”