HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 19)

एक चरवाहा था| एक दिन वह हरे-भरे मैदान में अपनी भेड़ें में अपनी भेड़ें चरा रहा था| तभी उसकी नजर एक भेड़िए के बच्चे पर पड़ी| उसे उस भेड़िए के बच्चे पर दया आ गई| यह उसे उठा कर अपने घर ले आया और उसे किसी बच्चे की तरह पालने-पोसने लगा|

एक बार एक सिंह गंभीर रूप से बीमार हो गया| चूंकि वह जंगल के सभी जानवरों का राजा था, अत: जंगल के सभी जानवर झुंड बना कर उसका हालचाल पूछने आए| केवल एक लोमड़ी नहीं आई| सिंह ने तो इस बात पर ध्यान नहीं दिया, परंतु भेड़िए से यह बात छिपी नहीं रह सकी, जो उसका पुश्तैनी शत्रु था|

एक बार एक बहेलिए ने एक गाने वाली चिड़िया पकड़ी| उसको उसने एक पिंजरे में रख दिया| बहुत दिनों तक तो चिड़िया बड़ी डरी-डरी और उदास रही, मगर शीघ्र ही उसने परिस्थितियों से समझौता कर लिया|

एक मुर्गा और एक कुत्ता एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र थे| एक दिन वे दोनों किसी जंगल से होकर यात्रा कर रहे थे| चलते-चलते अंधेरा छाने लगा| एक बड़ा सा पेड़ देखकर दोनों मित्रों ने आराम से रात काटने की सोची|

एक बार एक बूढ़ी औरत, जिसकी नजर कमजोर हो चुकी थी, एक नेत्र चिकित्सक के पास गई| नेत्र चिकित्सक ने महिला की जांच की और उसके नेत्रों का ऑपरेशन कर उसे उसके घर भेज दिया| महिला बहुत प्रसन्न थी कि डॉक्टर कितना भला है कि उसने उसके घर आकर मरहम-पट्टी करने का वादा किया है|

एक बार एक फाख्ता किसी बहेलिए के जाल में फंस गई| वह फड़फड़ाई और जाल से निकलने की भरसक कोशिश की, परंतु फसल नहीं हो सकी|

एक बार एक चालाक आदमी भूख से बेहाल इधर-उधर भोजन की तलाश में घूम रहा था| अंत में जब उसे भोजन प्राप्त नहीं हुआ तो निराश होकर ईश्वर के सामने घुटने टेक दिए – “हे ईश्वर, मुझ पर दया करो| अगर तुम मुझे एक सौ खजूर दोगे तो मैं आधे तुम्हारी सेवा में अर्पित कर दूंगा|”

एक बार एक मधुमक्खी ने एक बरतन में शहद इकट्ठा किया और ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए उनके समक्ष प्रस्तुत किया| ईश्वर उस भेंट से बहुत प्रसन्न हुए और मधुमक्खी से बोले कि वह जो चाहे इच्छा करे, उसे पूरा किया जाएगा|