HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 17)

एक खरगोश था| उसके कई मित्र थे| घोड़ा, बैल, बकरा, भेड़ आदि| लेकिन उनकी मित्रता कितनी सच्ची है, उसे यह परखने का अवसर आज तक नहीं मिला था|

एक व्यापारी के पास एक गधा था| वह रोज सुबह अपने गधे पर नमक की बोरियां व अन्य सामान लादकर आसपास के कस्बों में बेचने जाया करता था|

एक था शेर| एक सियार उसका मंत्री था| शेर रोज अपने भोजन के लिए एक जानवर का शिकार करता था| इस शिकार में से एक हिस्सा सियार को भी मिलता था| मंत्री के रूप में सेवा करने की यही उसकी तनख्वाह थी|

एक जंगल में एक सर्प रहता था| वह रोज चिड़ियों के अंडों, चूहों, मेंढकों एवं खरगोश जैसे छोटे-छोटे जानवरों को खाकर पेट भरता था|

एक बार समुद्री जीव जब सुबह की धूप सेकने किनारे पर आए तो अपने शत्रु बगुले को एक टांग पर खड़े प्रार्थना करते देखा| आज उसने उन पर आक्रमण भी नहीं किया था|

एक शहर में एक व्यापारी रहता था| उसका व्यापार काफी दूर-दूर तक फैला हुआ था| उसके काफिले तिब्बत, आसाम, बंगाल और कश्मीर तक जाते थे| व्यापारी धन-धान्य से परिपूर्ण था| लक्ष्मी की उस पर असीम कृपा थी|

एक बार एक व्यापारी समुद्री यात्रा कर रहा था| एक दिन उसने जहाज के कप्तान से पूछा कि उसके पिता की मृत्यु किस कारण हुई थी| कप्तान ने उत्तर दिया – “श्रीमान जी! मेरे पिता जी, मेरे दादा जी और मेरे परदादा जी तीनों की मृत्यु समुद्र में डूबने से हुई|”

एक बार कुछ शिकारियों ने जब एक बकरे का पीछा किया तो वह दौड़ कर अंगूर के बाग में घुस गया और वहां एक घनी बेल के पीछे छिप गया| चूंकि शिकारी उसे खोज नहीं पाए, इसलिए वे वापस लौट गए| बकरे ने जब देखा कि शिकारी वापस चले गए हैं तो वह वृक्ष के नीचे से निकल आया और पेड़ की पत्तियां खाने लगा| कुछ ही देर में हरा-भरा पेड़ बरबाद हो गया|