HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 143)

एक कौआ नीम के पेड़ की शाखा पर बैठा था| उसकी चोंच में रोटी का एक टुकड़ा था| एक लोमड़ी उधर से गुजरी तो कौए की चोंच में रोटी का टुकड़ा देखकर उसके मुहँ में पानी भर आया| उसने सोचा कि किसी तरह कौए की रोटी हथियानी चाहिए|

एक बार भगवान महावीर जंगल में तपस्या कर रहे थे। वे एकाग्रचित्त हो प्रभु के ध्यान में रमे थे। उस जंगल में चरवाहे भी गाय, भेड़, बकरियां चराने आते थे। चूंकि चरवाहे अशिक्षित व अज्ञानी थे इसलिए वे तपस्या के महत्व को नहीं जानते थे।

बादशाह अकबर और बीरबल शाम को सैर कर रहे थे| मार्ग में उन्हें एक वृद्ध स्त्री मिली, जिसके हाथ में म्यान सहित एक तलवार थी| बादशाह अकबर उस वृद्ध स्त्री के पास गए और बोले – “माताजी, यह तलवार लेकर आप यहां क्यों कड़ी हैं|”

एक बार एक भेड़िए को कही से भेड़ की खाल मिल गई तो वह फूला नही समाया| वह सोचने लगा, ‘सूर्यास्त के बाद जब गड़रिया भेड़ों को बाड़े में बंद कर देगा, तब मैं भी भेड़ों के बीच बाड़े में घुस जाऊँगा और रात को मोटी-सी भेड़ उठाकर भाग जाऊँगा| फिर उसे चटकारे लेकर खाऊँगा और इस खाल के कारण वह मुझे पहचान भी नही पाएगा|’

बीरबल को कहीं से एक गधा मिल गया| वह उसे बादशाह अकबर के पास लाया और बोला – “हुजूर, यह गधा काफी बुद्धिमान नजर आ रहा है| यदि इसे पढ़ना सिखाया जाए तो यह पढ़ाकू गधा बन सकता है|”

वर्धमान नगर में आभूषणों का एक व्यापारी दंतिल सेठ रहता था| वहाँ का राजा उसके व्यवहार से काफ़ी प्रसन्न था| जिस रानी को कभी कोई आभूषण बनवाना होता था तो दंतिल सेठ को ही बुलाया जाता| उसे रनिवास में आने-जाने की खुली छूट थी|

एक बार की बात है कि एक मधुमक्खी किसी सरोवर के ऊपर से उड़ती हुई जा रही थी कि एकाएक ही उस सरोवर में गिर पड़ी| उसके पँख भीग चुके थे| अब वह उड़ने में असमर्थ थी| इस तरह उसकी मृत्यु अवश्य संभावी थी|

वह साधु विचित्र स्वभाव का था। वह बोलता कम था। उसके बोलने का ढंग भी अजब था। माँग सुनकर सब लोग हँसते थे। कोई चिढ़ जाता था, तो कोई उसकी माँग सुनी-अनुसनी कर अपने काम में जुट जाता था।