HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 141)

एक बार शिवजी और मां पार्वती भ्रमण पर निकले। उस काल में पृथ्वी पर घोर सूखा पड़ा था। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। पीने को पानी तक जुटाने में लोगों को कड़ी मेहनत करना पड़ रही थी। ऐसे में शिव-पार्वती भ्रमण कर रहे थे। मां पार्वती से लोगों की दयनीय स्थिति देखी नहीं गई।

बादशाह अकबर हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दलालों के माध्यम से भारी मात्रा में रुई मंगवाते थे और बहुत ही सस्ती दर पर सूत कातने वाले कारीगरों को दे देते थे, जिससे उनका गुजारा चलता रहता था|

भगवान शंकर को पति के रूप में पाने हेतु माता-पार्वती कठोर तपस्या कर रही थी। उनकी तपस्या पूर्णता की ओर थी। एक समय वह भगवान के चिंतन में ध्यान मग्न बैठी थी। उसी समय उन्हें एक बालक के डुबने की चीख सुनाई दी। माता तुरंत उठकर वहां पहुंची। उन्होंने देखा एक मगरमच्छ बालक को पानी के भीतर खींच रहा है।

बादशाह अकबर को बर्तनों के एक व्यापारी की बहुत अधिक शिकायतें मिल रही थीं| उन्होंने बीरबल को बुलाया और उसे मामले को सुलझाने को कहा| बीरबल ने अपनी तरफ से छानबीन की तो पाया कि वाकई व्यापारी ठगी कर रहा था| बीरबल ने उसे सबक सिखाने की ठान ली|

एक धोबी के पास एक कुता और एक गधा था| धोबी सुबह-सुबह गधे पर कपड़े लादता और कुते को साथ लेकर घाट पर पहुँच जाता| जब धोबी कपड़े धोकर घाट पर सुखा कर चला जाता, तब कुता उनकी रखवाली करता|

बादशाह अकबर की बेगम ने जिद पकड़ ली कि उनके भाई को दिल्ली को दीवान नियुक्त किया जाए और  बीरबल की दीवान पद से छुट्टी कर दें| बादशाह अकबर ने बेगम को बहुत समझाया| उनके भाई के लिए किसी दूसरे पद की पेशकश की, किंतु बेगम न मानीं|

डॉक्टर दुर्गाचरण नाग बड़े ही सह्रदय चिकित्सक थे| वह न केवल मोहल्ले के रोगियों की चिकित्सा करते थे, अपितु यह भी देखते रहते थे कि उनका कोई पड़ोसी, मोहल्ले का कोई व्यक्ति भूखा, नंगा या रोगी तो नहीं है?