जैसे को तैसा – शिक्षाप्रद कथा
भैंस और घोड़े में लड़ाई हो गयी| दोनों एक ही जंगल में रहते थे| पास-पास चरते थे और एक ही रास्ते से जाकर एक ही झरने का पानी पीते थे|
भैंस और घोड़े में लड़ाई हो गयी| दोनों एक ही जंगल में रहते थे| पास-पास चरते थे और एक ही रास्ते से जाकर एक ही झरने का पानी पीते थे|
वर्षा के दिन थे| तालाब लबालब भरा हुआ था| मेढक किनारे पर बैठे एक स्वरसे टर्र-टर्र कर रहे थे| कुछ लड़के स्नान करने लगे|
जाड़े का दिन था और शाम हो गयी थी| आसमान में बादल छाये थे| एक नीम के पेड़ पर बहुत-से कौए बैठे थे|
एक घने जंगल में मदोत्कट नामक एक शेर रहता था| उसके तीन कृतघ्न मित्र थे – गीदड़, कौआ और भेड़िया| वे शेर के मित्र मात्र इसलिए थे क्योंकि वह जंगल का राजा था|
एक समय किसी जंगल में गोमय नामक एक गीदड़ रहता था| एक दिन भूख से व्याकुल वह भोजन की तलाश में यहां-वहां भटक रहा था|
एक गहरे कुएं में मेंढकों का राजा गंगादत्त रहता था| उसके साथी व परिवारजन भी उसी कुएं में रहते थे|
एक राजा के शयनकक्ष में मंदरीसर्पिणी नाम की जूं ने डेरा डाल रखा था| वह राजा के भव्य पलंग पर बिछने वाली चादर के एक कोने में छिपी रहती थी|
बात काफी पुरानी है, एक राजा को बंदरों से बहुत लगाव था| एक बड़ा बंदर तो उसके निजी सेवक के रूप में काम किया करता था|
एक घने जंगल में एक बड़ा-सा नाग रहता था| चिड़ियों के अंडे, मेंढक तथा छिपकलियों जैसे छोटे जीव-जंतुओं को खाकर वह अपना पेट भरता था|
एक बूढ़ा शेर जंगल में मारा-मारा फिर रहा था| कई दिनों से उसे खाना नसीब नहीं हुआ था| दरअसल बुढ़ापे के कारण अब वह शिकार नहीं कर पाता था|