श्रावण मास माहात्म्य – अध्याय-7 (मंगलवार की व्रत कथा)
भगवान शिव बोले-हे ब्रह्मापुत्र! अब मैं तुम्हें श्रवण के मंगलवार व्रत की कथा सुनाता हूँ| तुम एकाग्र भाव से सुनो|
भगवान शिव बोले-हे ब्रह्मापुत्र! अब मैं तुम्हें श्रवण के मंगलवार व्रत की कथा सुनाता हूँ| तुम एकाग्र भाव से सुनो|
सनत्कुमार बोले-हे भगवान्! आपने अति उत्तम माहात्म्य सुनाया है| अब आप मुझे श्रावण मास के सोमवार की व्रत कथा भी सुनायें|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार इस श्रावण मास में एकलिंग की स्थापना से ही भक्त को मेरा सामिप्य प्राप्त हो जाता है|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें धारण- पारण व्रत के बारे में विस्तार से बतलाऊंगा| उसे आप मन लगाकर सुनें|
सनत्कुमार बोले-हे प्रभु! आप इस श्रावण माहात्म्य के बारे में विस्तार से बतलायें| तब शिव बोले-हे महाभाग! जो श्रावण मास ‘नक्त-व्रत’ करे व्यतीत करता है वह पूरे वर्ष के नक्त व्रत का फल पाता है|
शिव बोले-हे सनत्कुमार! आप अत्यन्त विनम्र हैं| आपने जो कुछ मुझसे श्रावण-मास के बारे में जानना चाहा है, वह अब मैं तुम्हें विस्तार से बतलाता हूँ| अतः अब आप एकाग्र भाव से श्रवण करें|
शौनक ऋषि बोले-हे सूतजी! आपके द्वारा कही गई कथाओं से मुझे पूर्ण संतुष्टि नहीं हुई| अतः आप कुछ अन्य कथाएं मुझे सुनायें जिससे मेरी श्रवण तृप्ति हो जाये|