Homeश्रावण मास माहात्म्यश्रावण मास माहात्म्य – अध्याय-1 (शिव सनत्कुमार संवाद)

श्रावण मास माहात्म्य – अध्याय-1 (शिव सनत्कुमार संवाद)

श्रावण मास माहात्म्य

शौनक ऋषि बोले-हे सूतजी! आपके द्वारा कही गई कथाओं से मुझे पूर्ण संतुष्टि नहीं हुई| अतः आप कुछ अन्य कथाएं मुझे सुनायें जिससे मेरी श्रवण तृप्ति हो जाये|

यह सुनकर सूतजी बोले-हे ऋषियों! आपके कथनसे मैं अति प्रसन्न हूँ| आप सब दत्तचित्त हो मेरा कथन ध्यानपूर्वक सुनें| अभिमानरहित, ईश्वर-भक्ति वाली समझ से, दुष्ट विचारों को छोड़कर प्रभु में भक्ति के साथ, भागवत-वार्ता सुनने की इच्छा रखते हुए, विनम्र होकर, ब्राह्मण की सेवा में विश्वास रखते हुए, धैर्यसहित और स्वभाव में नम्रता रखते हुए, मन-वचन-कर्म से पवित्र होकर, पूर्णतया आरोप-प्रत्यारोप रहित होकर तथा तपस्वी-वृति में रहना आदि, ये बारह गुण गीता में बतलाये गए हैं| आप सब में भी ये बारह गुण विद्यमान हैं| अब मन व् आत्मा में प्रसन्नता अनुभव करता हुआ मैं आप सबको तत्व-ज्ञान की बातों का वर्णन करता हूँ|

एक बार शिव ब्रह्मा-पुत्र सनत्कुमार से बोले-हे सनत्कुमार! आपकी श्रद्धा और अत्यन्त सेवा-भाव से प्रसन्न हो मैं आपको रहस्मय बात बतलाता हूँ| संपूर्ण वर्ष के बारह मासों में मुझे श्रावण मास सबसे अधिक प्रिय है|

इस मास का माहात्म्य श्रवण से ही मनोकामना पूर्ण हो जाती है| इसलिए यह मास ‘श्रावण-मास’ कहलाता है| पूर्णमाही को श्रवण नक्षत्र-योग होने पर भी इस मास को ‘श्रावण-मास’ कहलाता है| आकाश की तरह निर्मल बन्ने को ‘नभा’ कहा गया है| इस मास के गुण एवं धार्मिक बातों का वर्णन करना तीनों लोकों में किसी भी सांसारिक प्राणी अथवा देवी-देवताओं की शक्ति से भी परे हैं| इसके सम्पूर्ण फल को केवल जगतपति ब्रह्मा ही जानते हैं| देवराज इन्द्रदेव इस श्रावण-मास का माहात्म्य देखने के लिए स्वयं आये| अनन्त भगवान ने इस मास के फल का वर्णन करने के लिए दो हजार जिव्हायें धारण की थीं|

हे महामुनि! वर्ष के अन्य माह, इस मास की केवल कला को भी ग्रहण नहीं कर सकते हैं| श्रावण का यह पूरा महीना व्रत एक धनजौन होता है| यह मास में व्रत आदि पुण्य-कार्य करने चाहिए|

सनत्कुमार बोले-हे प्रभु! आपने बतलाया है कि इस मास की सारी तिथियाँ व्रत-धारण करने के लिए होती है, अतः हे महाभाग! वह सब आप मुझे विस्तार से बतलायें कि किस दिन अथवा किस वार को कौन सा व्रत किया जाता है और व्रत को करने को करने का अधिकारी कौन होता है, उसका क्या फल होता है, वह व्रत किसने और कब किया, उसकी विधि क्या है, किस देवता की पूजा होती है, पूजन-सामग्री में कौन-कौन सी वस्तुएँ सम्मिलित की जानी चाहिए| जाती है, उसमें मुख्य-पूजन किसका होता है, रात्रि-जागरण किस प्रकार किया जाता है, व्रत दिन के किस समय किया जाना चाहिए, कौन सा व्रत कब किया जाना चाहिए? हे प्रभु आप मुझे विस्तारपूर्वक बतलायें कि यह मास आपको क्यों प्रिय है?

श्रावण-मास में कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं? यह माह क्यों पवित्र माना जाता है| अतः हे प्रभु! वह सब आप मुझे विस्तार से बतलायें|

फल:– इस पहले अध्याय के पाठ श्रावण से शिव भक्ति में वृद्धि होती है|