श्रावण मास माहात्म्य – अध्याय-17 (पवित्रारोपण)
शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें पवित्रारोपण के बारे में बतलाता हूँ| हे पुत्र! श्रावण मास में शुक्ल-पक्ष की सप्तमी को अधि वासन करके अगले दिन अष्टमी को पवित्रारोपण किया जाता है|
शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें पवित्रारोपण के बारे में बतलाता हूँ| हे पुत्र! श्रावण मास में शुक्ल-पक्ष की सप्तमी को अधि वासन करके अगले दिन अष्टमी को पवित्रारोपण किया जाता है|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें शीतला सप्तमी व्रत के बारे में बताता हूँ जो शीघ्र फलदायी है|
सनत्कुमार बोले-हे महाप्रभु! मैं आपके श्रीमुख से नागपंचमी व्रत की कथा सुन चुका हूँ| हे देवाधिदेव! अब आपके श्रीमुख से षष्ठी व्रत के विषय में जानना चाहता हूँ|
भगवान शिव बोले-हे महाभाग सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें श्रावण मास में शुक्ल-पक्ष की पंचमी तिथि को किये जाने वाले नागपंचमी व्रत के बारे में बतलाता हूँ|
सनत्कुमार बोले हे प्रभु! वह कौनसा व्रत है जिससे अतुल्य सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनुष्य पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्यादि प्राप्त कर अनंतकाल तक सुखी रहता है|
शिव बोले-हे वत्स! अब मैं तुम्हें श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली तृतीया तिथि को किए जाने वाले उत्तम तथा पवित्र ‘स्वर्ण-गौरी व्रत’ के बारे में बतलाता हूँ|
भगवान शिव से सनत्मकुमार ने कहा-हे प्रभु! अब मैं आपके श्रीमुख से श्रावण मास में आने वाली तिथियों का माहात्म्य जानना चाहता हूँ|
भगवान शिव बोले-हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें शनिवार व्रत की कथा कहता हूँ| उससे मन्दता दूर हो जाती है|
शिव बोले – हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें शुक्रवार व्रत की कथा सुनाता हूं| ध्यानपूर्वक सुनों क्योंकि उसके श्रवण मात्र से ही प्राणी मरणोपरांत भव-बन्धन से मुक्त हो जाता है|
शिव बोले – हे सनत्कुमार! अब मैं तुम्हें बुध तथा बृहस्पतिवार व्रत के संदर्भ में बतलाता हूँ| इस व्रत को नियम, भक्ति और श्रद्धा से पूरा करने पर सर्वोत्तम सिद्धि मिलती है|