सार्थक पूजा
महाराष्ट्र में एक बड़े संत हुए है- संत एकनाथ| वह एक तीर्थोटन करते हुए प्रयाग राज पहुँचे|
महाराष्ट्र में एक बड़े संत हुए है- संत एकनाथ| वह एक तीर्थोटन करते हुए प्रयाग राज पहुँचे|
काफ़ी समय पहले की बात है| उन दिनों देश में नंद नाम के राजा का शासन था| उसकी दो पत्नियाँ थी, सुनंदा और मुरा|
एक विधवा बंगालिन थी| वह अपनी पुत्री का विवाह करना चाहती थी, परंतु उसके विधवा होने के कारण कोई भी भद्र समाज का पंडित उसकी पुत्री का विवाह करने के लिए तैयार नहीं होता था, क्योंकि उन पंडितों को विधवा की पुत्री का विवाह कराने के कारण समाज से बहिष्कृत होने का डर था|
एक समय की बात है| एक साधु महात्मा थे| उनकी सारे नगर में प्रतिष्ठा थी| एक गृहस्थ का सारा परिवार उस महात्मा का भक्त था|
प्लासी के युद्ध-क्षेत्र में एक ओर बंगाल-बिहार के सूबेदार नवाब सिराजुद्दौला की फौज खड़ी थी| उसके मुकाबले अंग्रेजों के सेनाध्यक्ष क्लाइव की सेना थी|
स्वामी दयानंद सरस्वती का जनम १२ फरवरी १८२४ मे मोरबी (मुंबई) के पास काथियावाद शेत्र. गुजरात मे हुआ था| उनके पिता जी का नाम करशन जी लाल जी तिवारी और माँ का नाम यशोदा बाई था| ब्राह्मण परिवार मे जन्मे मूलशंकर एक अमीर , समृद्ध अथवा प्रभावशाली व्यक्ति थे| इनका प्रारंभिक जीवन बहुत आराम से बीता परन्तु पंडित बनने के लिए वे संस्कृत , वेद , शास्त्रों एवं अन्य धार्मिक पुस्तकों के अध्यन मे लग गए|
विश्वभर में 14 फ़रवरी को वेलेटाइन डे अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है| पश्चिमी देशों में इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है| जहाँ पर इसे प्यार के इजहार का दिन भी माना जाता है| इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बहुत बेसब्री से इंतजार होता है| प्रेमी और प्रेमिकाओं के लिए इस दिन की बहुत एहमियत है| और इस दिन को अत्यन्त खुशी का प्रतीक माना जाता है| इस दिन की रौनक अपने ही शबाब पर होती है| प्यार का इजहार करने के लिए परवाने फूलों के गुलदस्ते और भी प्यार से संबंधित चीजें देकर अपने प्रिय को खुशी जाहिर करते हैं|
महाशिवरात्रि के परम –पवन पर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं| यह दिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और यह माना जाता है कि इसी दिन शिवजी ने कालकूट नाम का विष पिया था जो की समुन्द्रमंथन के दौरान अमृत से पहले समुन्दर से निकला गया था| जबकि कुछ विद्वानों का यह भी मत है की आज के ही दिन शिवजी और माता पार्वती विवाह सूत्र मे बंधे थे|
एक समय की बात है| एक जांजलि नामक तपस्वी ब्रहामण थे| अपने तपोबल से उन्हें संपूर्ण लोकों को देखने की शक्ति प्राप्त हो गई थी|
एक बार की बात है| काशी निवास करते हुए शंकराचार्य अपने विधार्थियों के साथ धार्मिक कार्यों को विधिपूर्वक पूरा करते हुए गंगा की ओर जा रहे थे कि रास्ते के सामने एक चाण्डाल चार कुत्तों के साथ आ गया|