आधी रहे न पूरी – शिक्षाप्रद कथा
सुन्दर वन नामक जंगल में एक शेर रहता था| एक दिन उसे बहुत भूख लगी तो वह आसपास किसी जानवर की तलाश करने लगा|
सुन्दर वन नामक जंगल में एक शेर रहता था| एक दिन उसे बहुत भूख लगी तो वह आसपास किसी जानवर की तलाश करने लगा|
एक बार भूख से दुःखी एक गीदड़ जंगल से निकलकर गांव की ओर आ गया| उसने सोचा गांव में कुछ न कुछ खाने की अवश्य मिल जाएगा|
मधुपुर नामक जंगल में एक शेर रहता था जिसके तीन मित्र थे, जो बड़े ही स्वार्थी थे| इनमें थे, गीदड़, भेड़िया और कौआ|
एक गांव में चूहों का आतंक छाया हुआ था| हजारों चूहे थे उस गांव में| उनकी तादाद इतनी अधिक थी कि आसपास के गांव वाले उस गांव को चूहों वाला गांव कहकर पुकारते थे|
दो शिकारी जब सारा दिन जंगल में घूमते-फिरते थक गए तो एक पुराने तालाब के किनारे आकर आराम करने के लिए बैठ गए|
घोड़े पहले दूसरे जंगली जानवरों की भांति जंगलों में रहा करते थे| दूसरे जानवरों की भांति उनका भी शिकार होता था|
एक दिन एक कौआ पेड़ की ऊंची डाल पर बैठा रोटी खा रहा था| एक लोमड़ी ने उसे देखा तो उसके मुंह में पानी भर आया| उसने सोचा कि किसी प्रकार कौए से रोटी हड़पनी चाहिए|
एक पंसारी की दुकान में बहुत से चूहे रहते थे| वहां उनके खाने का भरपूर सामान था| वे रोज तरह-तरह का माल उड़ाते और मस्ती में अपने दिन काटते|
एक समय सूडान के खारतूम नाम के शहर में फजल इलाही नामक का एक सम्पन्न सौदागर रहा करता था| धन-वैभव की उसके पास कमी नहीं थी|
जंगल में एक पेड़ पर सुनहरी चिड़िया रहती थी| जब वह गाती थी तो उसकी चोंच से सोने के मोती झरते थे| एक दिन वह चिड़ीमार की नजर उस पर पड़ गई|