HomePosts Tagged "बीमारीयों के लक्षण व उपचार" (Page 2)

पेट में दर्द होने पर बच्चा अत्यंत व्याकुल हो जाता है| वह बार-बार रोता और चिल्लाता है| कभी-कभी कुछ बच्चों के पेट गैस से फूल जाते हैं|

हैजा का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं| यह प्राय: महामारी के रूप में फैलता है| यह रोग गरमी के मौसम के अंत में या वर्षा ऋतु की शुरू में पनपता है|

जब मल त्याग करते समय या उससे कुछ समय पहले अंतड़ियों में दर्द, टीस या ऐंठन की शिकायत हो तो समझ लेना चाहिए कि यह पेचिश का रोग है| इस रोग में पेट में विकारों के कारण अंतड़ी के नीचे की तरफ कुछ सूजन आ जाती है|

जिगर की सूजन प्राय: गलत खान-पान के कारण होती है| यह जिगर के कोशों में काफी कमी और निष्क्रियता आने से उत्पन्न हो जाती है| यदि इस रोग का शुरू में ही उपचार न कराया जाए तो शरीर में अनेक विकार उभर सकते हैं|

रतौंधी एक ऐसा रोग है जिससे रोगी को आंखों में कोई कष्ट तो नहीं होता, लेकिन उसे रात के समय देखने में बड़ी परेशानी होती है| ऐसा रोगी हीन भावना का शिकार हो सकता है|

कान में दर्द प्राय: बच्चों तथा प्रौढ़ों को हो जाता है| इस रोग में रोगी को बहुत तकलीफ होती है| कान में सूई छेदने की तरह रह-रहकर पीड़ा होती है|

गले में सूजन कोई बीमारी नहीं है| लेकिन जब किन्हीं दूसरी व्याधियों के कारण गला सूज जाता है या लाल पड़ जाता है तो इसे रोग की श्रेणी में माना जाता है|

हाथ, पैरों, टखने या कुहनी आदि में मोच आने पर बाजारू पहलवानों से मलीद आदि नहीं करानी चाहिए| इससे अधिकांशत: नुकसान उठाना पड़ता है| इसका कारण यह है की मोच आने से नस-नाड़ियों के तंतु टूट जाते हैं| ऐसे में कड़ी मालिश से वे अधिक क्षत-विक्षत हो सकते हैं|

स्मरण शक्ति कमजोर होने पर व्यक्ति को लगता है, जैसे उसका दिमाग खाली हो| उसे प्राय: चक्कर आता है| एकाग्रता नष्ट हो जाती है| यह रोग उन लोगों को अधिक होता है जो दूध, दही, घी, मक्खन, अंकुरित अनाज, फल आदि पौष्टिक पदार्थों का सेवन बहुत कम मात्रा में करते हैं|

शरीर के सभी महत्त्वपूर्ण कार्यों में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जिगर की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है| भोजन के पाचन के बाद आहार रस सबसे पहले जिगर में पहुंचता है| वहां उसमें अनेक जैव तथा रासायनिक परिवर्तन होते हैं|