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मोहम्मद साहब के 12 दिसम्बर को तथा ईशु के 25 दिसम्बर जन्म के इस पवित्र माह में हम उनकी महान आत्मा को नमन करते हैं। इन दोनों महान आत्माओं ने भारी कष्ट सहकर अपना सारा जीवन लोक कल्याण के लिए जिया। मोहम्मद साहब ने कहा था कि हे खुदा, सारी खिल्कत को बरकत दे। अर्थात हे खुदा, सारे संसार का भला कर। उन्होंने यह भी कहा था कि गरीब का पसीना सुखने के पहले उसकी मजदूरी मिल जानी चाहिए। वहीं ईशु ने मानव जाति के लिए अपना बलिदान करके उनको सुली पर चढ़ाने वाले कठोर हृदय के लोगों में करूणा का सागर बहा दिया था। ईशु ने सुली चढ़ाने वालों के लिए प्रभु से उन्हें माफ कर देने की प्रार्थना की थी। हे प्रभु, ये अपराधी नहीं वरन् ये अज्ञानी है। प्रभु ने ईशु की प्रार्थना सुनकर सुली देने वालों को माफ कर दिया। वे सभी रो-रोकर कहने लगे कि हमने अपने रक्षक को ही सुली पर लटका दिया। ईशु का सन्देश है कि जो ईश्वर की राह पर ध्येयपूर्वक सहन करते हैं परमात्मा उनका इनाम बढ़ा देता है। आज संसार में सबसे अधिक लोग ईशु तथा मोहम्मद साहब को मानने वाले हैं। ईश्वर को मानव सेवा मंे जानना और मानव मात्र से प्यार करना मेरे जीवन का उद्देश्य है!

डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर 6 दिसंबर को प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश का ऐलान प्रदेश सरकार ने किया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में घोषित वार्षिक अवकाश 42 हो गए हैं। इन 42 वार्षिक अवकाशों में से 17 छुट्टियां ऐसी हैं जो जातीय आधार पर घोषित की गई हैं। प्रति छुट्टी होने वाले राजस्व के नुकसान का आकलन भी अब तक किसी ने नहीं किया। शायद वजह राजनीतिक ही है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, जातियों के आधार पर चल रही उत्तर प्रदेश में छुट्टियों की घोषणा सरकारें हथियार की तरह करती रही हैं। नवभारत टाइम्स में प्रकाशित एक समाचार एक अनुसार हर जाति को खुश करने के लिए समय-समय पर छुट्टियां घोषित होती रहती हैं और इसका नुकसान आम जनता को होता है। इससे न केवल सरकारी कामकाज ठप होता है बल्कि प्रदेश की अर्थ व्यवस्था पर भी असर दिखता है। अंततः इसकी भरपाई जनता अपनी जेब से करती है। 

उत्तर प्रदेश के शामली के जैन मोहल्ला निवासी श्री नीरज गोयल वर्ष 2010 में मुंडेट कलां प्राथमिक विद्यालय नंबर एक में बतौर सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। प्राथमिक सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही जेहन में शिक्षा के नाम खानापूरी का विचार आता है। मिड डे मील और वजीफे के बीच शिक्षा की बदहाली सामने आती है। शिक्षा को इस बदहाली से निकालने के लिए श्री नीरज गोयल अब शामली के मोहल्ला बरखंडी स्थित प्राथमिक विद्यालय नंबर दस के प्रधानाध्यापक के रूप में इस प्रवृत्ति के खिलाफ लड़ रहे हैं। उनके स्कूल में छात्र संख्या के नाम पर खानापूरी नहीं होती है। वह अभिभावकों को प्रेरित करते हैं और शिक्षा की गुणवत्ता बनाने के लिए भरसक प्रयास करते हैं। गरीब परिवार के बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए उन्होंने अभियान चला रखा है। उन्होंने मोहल्ला चैपाल नामांकन भ्रमण के नाम से कार्यक्रम चलाया। स्कूल की छुट्टी के बाद नीरज गोयल मोहल्लों में पहुंचते और वहां ठेले वाले, सब्जी बेचने वाले, रिक्शा चलाकर गुजर बसर करने वाले परिवारों के बीच जाकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करते हैं। रात में मोहल्लों में बैठक कर उन्हें शिक्षा का महत्व बताते हैं। इसी का असर है कि विद्यालय में नामांकन 300 हुआ और ज्यादातर बच्चे रोज स्कूल भी आते हैं। वह बच्चों को हर कदम पर अपनेपन का अहसास कराते हैं। ताकि उन्हें किसी तरह की कोई कमी महसूस न हो।

(1) जब-जब राम ने जन्म लिया तब-तब पाया वनवास:

आज से 7500 वर्ष पूर्व राम जन्म अयोध्या में हुआ। राम ने बचपन में ही प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को पहचान लिया और उन्होंने अपने शरीर के पिता राजा दशरथ के वचन को निभाने के लिए हँसते हुए 14 वर्षो तक वनवास का दुःख झेला। लंका के राजा रावण ने अपने अमर्यादित व्यवहार से धरती पर आतंक फैला रखा था। राम ने रावण को मारकर धरती पर मर्यादाओं से भरे ईश्वरीय समाज की स्थापना की। कृष्ण का जन्म 5000 वर्ष पूर्व मथुरा की जेल में हुआ। कृष्ण के जन्म के पहले ही उनके मामा कंस ने उनके माता-पिता को जेल में डाल दिया था। राजा कंस ने उनके सात भाईयों को पैदा होते ही मार दिया। कंस के घोर अन्याय का कृष्ण को बचपन से ही सामना करना पड़ा। कृष्ण ने बचपन में ही ईश्वर की इच्व्छा तथा आज्ञा को पहचान लिया और उनमें अपार ईश्वरीय ज्ञान व ईश्वरीय शक्ति आ गई और उन्होंने बाल्यावस्था में ही कंस का अंत किया। इसके साथ ही उन्होंने कौरवों के अन्याय को खत्म करके धरती पर न्याय की स्थापना के लिए महाभारत के युद्ध की रचना की। बचपन से लेकर ही कृष्ण का सारा जीवन संघर्षमय रहा किन्तु धरती और आकाश की कोई भी शक्ति उन्हें प्रभु के कार्य के रूप में धरती पर न्याय आधारित साम्राज्य स्थापित करने से नहीं रोक सकी। जब-जब अवतार मानव जाति का कल्याण करने के लिए राम, कृष्ण, बुद्ध, ईशु, मोहम्मद, नानक, बहाउल्लाह के रूप में धरती पर आते हैं तब-तब हम उनको वनवास, जेल, सूली आदि देकर तरह-तरह से बहुत कष्ट देते हैं। अज्ञानतावश हमने परमात्मा को विभिन्न धर्मो के पूजा-स्थलों मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरूद्वारे में बांट दिया है।

पाकिस्तान के प्रति भारत अपना मानवीय कर्तव्य निभाने से कभी पीछे नहीं रहता। एक बार फिर भारत ने पाकिस्तानी बच्ची के साथ पवित्र रिश्ता निभाकर यह साबित भी कर दिया है। नोएडा के सेक्टर 12 में स्थित फोर्टिस अस्पताल ने लिवर की बीमारी से पीड़ित पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के हैदराबाद की रहने वाली सात वर्षीय अनाबिया के माता-पिता के पास इलाज के पूरे पैसे न होने के बावजूद आर्गन ट्रांसप्लांट कर उसे नई जिंदगी दी है। फोर्टिस अस्पताल के डाॅ. विवेक विज ने मानवीय फर्ज निभाने की मिसाल प्रस्तुत की है। यह पहल चिकित्सा जगत को अधिक से अधिक मानवीय बनने की सीख देती है। धरती में पलने वाला प्रत्येक जीवन अनमोल है। हमें किसी भी कीमत पर जीवन को बचाने के लिए सदैव आगे आना चाहिए। डाॅ. विवेक विज जैसे चिकित्सकों के मानवीय प्रयासों पर ही मानव जाति की उम्मीद और विश्वास टिका है। 

भूख तथा गरीबी हटाने में काला धन सबसे बड़ी बाधा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मानव समाज एवं मानव जीवन में सुचिता लाने के लिए 500 तथा 1000 के नोट्स पर 8 नवम्बर की रात्रि को प्रतिबन्ध लगाकर गरीबी, आतंकवाद, काला धन, नकली नोट तथा भ्रष्टाचार के स्त्रोत पर जबरदस्त प्रहार करके एक सशक्त तथा भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र का निर्माण करने का ऐतिहासिक कदम उठाया है। पिछले ढाई वर्षों में सवा सौ करोड़ देशवासियों के सहयोग से आज भारत ने ग्लोबल इकोनामी में एक ‘ब्राइट स्पाॅट’ अर्थात चमकता सितारा के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। ऐसा नहीं है कि यह दावा सरकार कर रही है, बल्कि यह आवाज इंटरनेशनल मोनेटरी फंड और वल्र्ड बैंक से गूंज रही है। एक तरफ तो विश्व में हम आर्थिक गति में तेजी से बढ़ने वाले विश्व के देशों में सबसे आगे हैं। दूसरी तरफ भ्रष्टाचार की ग्लोबल रैकिंग में दो साल पहले भारत करीब-करीब सौवंे नंबर पर था। ढेर सारे कदम उठाने के बावजूद हम 76वें नंबर पर पहुंच पाए हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि भ्रष्टाचार और कालेधन का जाल कितने व्यापक रूप से देश में बिछा है।

काक चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च। अल्पहारी, स्वयंसेवी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।। (भावार्थ – 1. जिस प्रकार कौआ ने मटके में मनोयोगपूर्वक एक-एक कंकड़ डालकर अपनी प्यास बुझाने में सफलता प्राप्त की, 2. बगले की तरफ केवल अपने लक्ष्य पर पूरी एकाग्रता, 3. कुत्ते की तरह सर्तक होकर सोना, 4. हल्का सुपाच्य भोजन करना तथा 5. अपने कार्य स्वयं करने वाला। ये विद्यार्थी के पांच गुण हैं।) 

डाॅ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व सम्मोहक तथा बहुपक्षीय था। उनका महत्त्व रामेश्वरम् के एक अनजान ग्रामीण लड़के से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा तक सीमित नहीं थी। वह बचपन से ही मानवीयता तथा आध्यात्मिकता से प्रेरित रहे। उन्होंने अपने जीवन में सपनों को साकार करने का प्रयत्न किया और सफलता ने उनका दामन नहीं छोड़ा। ‘मिसाइल पुरुष’ नाम से प्रख्यात् डाॅ0 कलाम सन् 2020 तक भारत को विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाना चाहते थे। वह हमेशा आकाश की ऊँचाईयों तक पहुँचने के इच्छुक रहे। वे समाज के सभी वर्गों के साथ-साथ विशेषरूप से बच्चों के मस्तिष्क को प्रज्वलित करने के लिए जीवनपर्यन्त प्रयत्नशील रहे।

मानव सभ्यता के नव निर्माण के लिए आते हैं दिव्य अवतार:-

यह पृथ्वी करोड़ों वर्ष पुरानी है। इस पृथ्वी का जीवन करोड़ों वर्ष का है क्योंकि जब से सूरज का जीवन है तब से मनुष्य का जीवन है। भारत की सभ्यता सबसे पुरानी है। आज मनुष्य का जीवन बहुत ही सुनियोजित एवं वैज्ञानिक ढंग से चल रहा है। यहाँ पर जो प्रथम मानव उत्पन्न हुआ वो बिठूर में गंगा जी के घाट के पास उत्पन्न हुआ। बिठूर में गंगा जी के पास एक छड़ी लगी हुई है जो कि यह इंगित करती है कि मनु और शतरूपा यही पर उत्पन्न हुए थे। मनुष्य चाहे पहले कंदराओं में रहता हो चाहे कृषि युग में रहता हो या किसी अन्य युग में सभी युगों में कोई न कोई मार्गदर्शक मानव सभ्यता का नव निर्माण करने के लिए आये।

(1) मानव जीवन अनमोल उपहार है:-

आज के युग तथा आज की परिस्थितियों में विश्व मंे सफल होने के लिए बच्चों को टोटल क्वालिटी पर्सन (टी0क्यू0पी0) बनाने के लिए स्कूल को जीवन की तीन वास्तविकताओं भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक शिक्षायें देने वाला समाज के प्रकाश का केन्द्र अवश्य बनना चाहिए। टोटल क्वालिटी पर्सन ही टोटल क्वालिटी मैनेजर बनकर विश्व में बदलाव ला सकता है। उद्देश्यहीन तथा दिशाविहीन शिक्षा बालक को परमात्मा के ज्ञान से दूर कर देती है। उद्देश्यहीन शिक्षा एक बालक को विचारहीन, अबुद्धिमान, नास्तिक, टोटल डिफेक्टिव पर्सन, टोटल डिफेक्टिव मैनेजर तथा जीवन में असफल बनायेगी। तुलसीदास जी कहते है – ‘‘बड़े भाग्य मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सदग्रंथनि पावा।। अर्थात बड़े भाग्य से, अनके जन्मों के पुण्य से यह मनुष्य शरीर मिला है। इसलिए हम इसी पल से सजग हो जाएं कि यह कहीं व्यर्थ न चला जाये। हिन्दू धर्म के अनुसार 84 लाख पशु योनियों में जन्म लेने के बाद अपनी आत्मा का विकास करने के लिए एक सुअवसर के रूप में मानव जन्म मिला है। यदि मानव जीवन में रहकर भी हमने अपनी आत्मा का विकास नहीं किया तो पुनः 84 लाख पशु योनियों में जन्म लेकर उसके कष्ट भोगने होंगे। यह स्थिति कौड़ी में मानव जीवन के अनमोल उपहार को खोने के समान है। यह सिलसिला जन्म-जन्म तक चलता रहता है।