HomePosts Tagged "साखियाँ" (Page 11)

गुरु जी अपने पुराने मित्रों को मिलने के लिए कुछ सिख सेवको को साथ लेकर हरीके गाँव पहुँचे| गुरु जी की उपमा सुनकर बहुत से लोग श्रधा के साथ दर्शन करने आए| हरीके के चौधरी ने अपने आने की खबर पहले ही गुरु जी को भेज दी कि मैं दर्शन करने आ रहा हूँ| गाँव का सरदार होने के कारण उसमे अहम का भाव था|

एक तपस्वी जो कि खडूर साहिब में रहता था जो कि खैहरे जाटो का गुरु कहलाता था| गुरु जी के बढ़ते यश को देखकर आपसे जलन करने लगा और निन्दा भी करता था| संवत १६०१ में भयंकर सूखा पड़ा| लोग दुखी होकर वर्षा कराने के उदेश्य से तपस्वी के पास आए| पर उसने कहना शुरू किया कि यहाँ तो उलटी गंगा बह रही है|

कन्नौज के युद्ध में हारकर दिल्ली का बादशाह हमायूँ गुरु घर की महिमा सुनकर खडूर साहिब में सम्राट का वर प्राप्त करने के लिए आया| गुरु जी अपनी समाधि की अवस्था में मगन थे| पांच दस मिनट खड़े रहने पर भी जब उसकी और ध्यान नहीं दिया गया तो इसे उसने अपना निरादर समझा क्यूंकि उसे अपने बादशाह होने का अहंकार आ गया|

एक बार डले गांव के रहने वाले सिक्ख भाई दीपा, नरायण दास व बुला गुरु जी के पास आए| उन्होंने गुरु जी के चरणों में प्रार्थना की कि हमारा जन्म-मरण का दुःख दूर हो जाए|

एक दिन गोंदे क्षत्रि ने गुरु जी के पास आकर प्रार्थना की, कि सच्चे पातशाह! मेरा गांव जो कि व्यास नदी के किनारे स्थित है, वहां भूतों का निवास है जिसके कारण वह गांव बस नहीं रहा|

श्री गुरु अंगद देव जी के सुपुत्र दासू और दातू श्री अमरदास की महिमा दूर-दूर होते देख ईर्ष्या से भर गए| वे गुरुगद्दी संभालने के लिए गोइंदवाल चल पड़े|

हरिपुर के राजा व रानी सावण मल की प्रेरणा से गुरु जी के दर्शन करने के लिए गोइंदवाल आए| सावण मल गुरु जी से बेनती की कि महाराज! हरिपुर का राजा अपनी रानी सहित आपके दर्शन करने आया है|

बाउली की खुदाई का कार्य चल रहा था| बाउली की खुदवाई जब पानी तक पहुंच गई तो आगे पत्थरों की कठोरता आ गई|

बाऊली का निर्माण कार्य समाप्त हो गया| श्री गुरु अमरदास जी ने 84 पौड़िया गिन कर वचन किया कि जो नर-नारी इन 84 पौड़ियों पर बाऊली में 84 बार स्नान करेगा व 84 बार जपुजी साहिब के चौरासी पाठ करेगा तो उसकी जन्म-मरण की चौरासी कट-जाएगी|

एक क्षत्रि प्रेमा जिसे कोहड़ था, उसकी कोई देखभाल करने वाला नहीं था| गुरु जी की महिमा सुनकर गोइंदवाल आ गया|