HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 22)

एक भेड़िया जब अपने शिकार को खा रहा था तो मांस की एक हड्डी उसके गले में फंस गई| भेड़िया दर्द से चिल्लाने लगा| गले का दर्द धीरे-धीरे बढ़ता गया और जब असहनीय हो गया तो भेड़िये को लगा कि वह मर जाएगा| उसे सांस लेने में भी कठिनाई हो रही थी|

किसी जंगल में एक सिंह, एक गधा और एक लोमड़ी रहते थे| तीनों में गहरी मित्रता थी| तीनों मिलकर जंगल में घूमते और शिकार करते| एक दिन वे तीनों शिकार पर निकले| उन तीनों में पहले से ही यह समझौता था कि मारे गए शिकार के तीन बराबर भाग किए जाएंगे|

एक बार एक उकाब किसी जंगल की ओर से उड़ता हुआ आया| उसक पंजों में एक काला सांप दबा हुआ था| उकाब एक बड़ी-सी चट्टान के ऊपर अपने पंख फड़फड़ा कर उड़ने लगा| कुछ देर बाद वह उसी चट्टान पर उतर गया ताकि वह सांप को एकान्त में निश्चिन्त होकर खा सके|

एक बार एक शहरी चूहा अपने गांव में रहने वाले अपने मित्र चूहे से भेंट करने गया| गांव का चूहा एक गरीब किसान के घर में रहता था| चूंकि शहर का चूहा गांव के चूहे का अतिथि था, इसलिए गांव के चूहे ने अपने मेहमान को स्वादिष्ट भोजन परोसने में कोई कसर न छोड़ी|

एक गांव था, जहां के निवासियों ने कभी ऊंट नहीं देखा था| एक बार किस्मत का मारा एक एक ऊंट रास्ता भटक गया और गांव के बीच खेतों में जाकर चरने लगा| गांव वालों ने कभी ऐसा अजीबोगरीब प्राणी नहीं देखा था, इसलिए वे सब भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे|

किसी जंगल के किनारे पानी से भरी एक बड़ी सी झील थी| इसमें कुछ मेंढ़क खूब मजे का जीवन व्यतीत कर रहे थे| एक बार ऐसा हुआ कि वर्षा ऋतू में पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी| भीषण गरमी से झील सूख गई थी|

एक बार एक मुर्गा भोजन की तलाश कर रहा था| भोजन तलाश करने के दौरान ही एक कूड़े के ढेर में उसे एक बड़ा-सा हीरा मिला| उस हीरे को देखकर वह आश्चर्य में पड़ गया| फिर उसने उसे चोंच में भर कर तोड़ना चाहा, परंतु भला हीरा कैसे टूटता| तभी उसके इर्द-गिर्द मुर्गे भी जमा हो गए और कौतूहलवश उस हीरे के टुकड़े को देखने लगे|

एक बड़े मकान में सैकड़ों चूहे रहते थे| उसी मकान में एक बिल्ली भी रहती थी| जब भी उस बिल्ली को भूख लगती, वह किसी अंधेरे स्थान पर छुप कर बैठ जाती और जैसे ही कोई चूहा भोजन की तलाश में उधर आता, वह उस पर झपट पड़ती और उसे मार कर चट कर जाती|

एक बार एक भालू बहुत प्रसन्न मुद्रा में जंगल में घूम रहा था| उसे जिस भोजन की तलाश थी, वह था शहद| भालू को यह भी मालूम था कि उसे शहद कहां मिलेगा| उसने अपना थूथन उठाया, कुछ सूंघा और फिर एक ओर चल पड़ा|