कड़वा नीम (तेनालीराम) – शिक्षाप्रद कथा
एक बार राजा कृष्णदेव राय का, पड़ोसी राज्य से युद्ध छिड़ गया| युद्ध में जंग जीतकर राजा जब अपने साथियों के साथ अपनी राजधानी को वापिस आ रहे थे तो तेनालीराम कहीं पीछे ही रहे गये|
एक बार राजा कृष्णदेव राय का, पड़ोसी राज्य से युद्ध छिड़ गया| युद्ध में जंग जीतकर राजा जब अपने साथियों के साथ अपनी राजधानी को वापिस आ रहे थे तो तेनालीराम कहीं पीछे ही रहे गये|
बहुत पुरानी बात है| दुनिया का निर्माण-कार्य गति पा चुका था| अनेक जीव-जन्तु अपने-अपने तरीकों से जिंदगी बिताने के लिए कामों में लगे थे|
एक जंगल में एक शेर, सियार, लोमड़ी और गीदड़ चार मित्र थे| शेर उनका लीडर था| वे जंगल में जिधर भी निकल जाते, तबाही मचा देते|
नन्दू बहुत ही अच्छा बच्चा था| वह नित्य अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करता, ईश्वर की वन्दना करता, गुरुजनों का सम्मान करता था|
एक राज्य का राजा बड़ा सनकी था| उसे रोज नई कहानी सुनने की लत थी| शहर भर से किस्से-कहानी सुनाने वाले आते और उसे रोज नए-नए किस्से-कहानी सुनाया करते थे|
एक मधुमक्खी थी| एक बार एक उड़ती हुई तालाब के ऊपर से जा रही थी| अचानक वह तालाब के पानी में गिर गई| उसके पंख गीले हो गए|
रामदीन बेहद गरीब था| बचपन से आज तक का उसका जीवन अभावों में ही बीता था| समय के साथ माता-पिता छोड़ गए, किन्तु गरीबी ने नहीं छोड़ा| शादी हो गई, बच्चे हो गए|
गौरेया और उसकी पत्नी एक घने जंगल में पीपल के पेड़ पर रहते थे| इस पेड़ पर इतने अधिक पत्ते थे कि वे गर्मी, सर्दी तथा वर्षा से भी बचे रहते थे|
एक राजा के शयन कक्ष में एक जूं रहती थी| वह राजा का स्वादिष्ट खून पी-पीकर खूब आनन्द ले रही थी|
नन्दन वन में एक भयानक काला सांप रहता था| युवावस्था में उसने पूरे वन में आतंक मचा रखा था| किन्तु कालचक्र के अनुसार अब वह बूढ़ा हो चुका था|