खरगोश और मेढक
एक बार कुछ खरगोश गरमी के दिनों में झरबेरी की एक सूखी झाड़ी में इकट्ठे हुए| खेतों में उन दिनों अन्न न होने से वे सब भूखे थे और इन दिनों सुबह और शाम को गाँव से बाहर घुमने वालों के साथ आने वाले कुत्ते भी उन्हें बहुत तंग करते थे|
एक बार कुछ खरगोश गरमी के दिनों में झरबेरी की एक सूखी झाड़ी में इकट्ठे हुए| खेतों में उन दिनों अन्न न होने से वे सब भूखे थे और इन दिनों सुबह और शाम को गाँव से बाहर घुमने वालों के साथ आने वाले कुत्ते भी उन्हें बहुत तंग करते थे|
अकबर के दरबार में कलाकारों, विद्वानों तथा अपने-अपने क्षेत्र में माहिर लोगों की कद्र की जाती थी| जब भी ऐसा कोई व्यक्ति दरबार में आकर अपनी कला का प्रदर्शन करता, राजा उसे भारी इनाम देकर खुश कर देते थे|
दुर्योधन के कपट-द्यूत में सर्वस्त्र हारकर पांडव द्रौपदी के साथ काम्यक वन में निवास कर रहे थे, परंतु दुर्योधन के चित्त को शांति नहीं थी| पांडवों को कैसे सर्वथा नष्ट कर दिया जाए, वह सदा इसी चिंता में रहता था|
फारस देश का बादशाह नौशेरवाँ अपनी न्यायप्रियता के लिए बहुत प्रसिद्ध हो गया था| वह बहुत दानी भी था| एक दिन वह अपने मन्त्रियों के साथ घुमने निकला| उसने देखा कि एक बगीचे में एक बहुत बूढ़ा माली अखरोट के पेड़ लगा रहा है| बादशाह उस बगीचे में गया| उसने माली से पूछा-‘तुम यहाँ नौकर हो या यह तुम्हारा ही बगीचा है?’
बादशाह अकबर और बीरबल यमुना नदी के किनारे सैर कर रहे थे| उस वक्त बीरबल नजरें झुकाकर चल रहा था| यह देखकर बादशाह अकबर को मजाक सूझा और उन्होंने बीरबल से पूछा – “क्या बात है बीरबल… कुछ गुम हो गया है क्या?”
कांतिनगर के राजा देवशक्ति के शासन में प्रजा काफ़ी खुशहाल और सम्पन्न थी| लेकिन राजा काफ़ी दुखी था क्योंकि उसके नन्हें और मासूम बेटे के पेट में न जाने कैसे एक साँप का बच्चा चला गया था| उस साँप के बच्चे को निकालने के लिए राजा ने बहुत से वैधों और चिकित्सकों से उपचार कराया लेकिन सफलता नही मिल पाई थी|
द्रोणाचार्य उन दिनों हस्तिनापुर में गुरुकुल के बालक पांडव एवं कौरवों को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दे रहे थे|
एक वृक्ष डाल पर एक कबूतर बैठा था| वह वृक्ष नदी के किनारे था| कबूतर ने डालपर बैठे-बैठे नीचे देखा कि नदी के पानी में एक चींटी बहती जा रही है|
बादशाह अकबर और बीरबल यमुना नदी के तट पर टहल रहे थे| वहां एक आदमी मछली पकड़ रहा था| उसे देखकर बादशाह अकबर भी उसके साथ मछली पकड़ने बैठ गए किन्तु बीरबल वापस लौट आए|
भीमसेन का विवाह हिडिंबा नाम की एक राक्षसी के साथ भी हुआ था| वह भीमसेन पर आसक्त हो गई थी और उसने स्वयं आकर माता कुंती से प्रार्थना की थी कि वे उसका विवाह भीमसेन के साथ करा दें|