HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 109)

एक बार एक गधे और लोमड़ी में मित्रता हो गयी| वे बराबर साथ देखे जाते| गधे उसे कभी चूजे दिखा देता और लोमड़ी उसे हरा-भरा खेत दिखाती| एक दिन उन्होंने एक शेर को देख लिया| गधे ने पहले देखा और भय से कांपने लगा| लोमड़ी ने उसे सुरक्षा का आश्वासन दिया|

पुराने जमाने की बात है। एक शहर में दो व्यापारी आए। इनमें से एक घी का कारोबार करता था, तो दूसरा चमड़े का व्यापार करता था। संयोग से दोनों एक ही मकान में पहुंचे और शरण मांगी। मकान मालिक ने रात होने पर घी वाले व्यापारी को भीतर सुलाया और चमड़े वाले को बाहर बरामदे में।

एक बार एक भेड़िया कुछ भेड़ों को खाना चाहता था, जिनकी रखवाली एक सतर्क गड़ेरिया करता था| भेड़िये ने योजना बनायी| वह उस मैदान के निकट थोड़ी दूर पर जाकर बैठने लगा| गड़ेरिये ने देखा, किन्तु भेड़िया दूर था|

एक गांव में एक नाई रहता था | उसका काम था लोगों की इजामत बनाना | उसकी एक बुरी आदत थी कि उसके पेट में कोई बात पचती नहीं थी | अत: इधर की बातें उधर बताने का उसे शौक था |

हरिश्चंद्र ने पीछे मुड़कर देखा तो वंहा अपने स्वामी चाण्डाल को खड़ा पाया, जो मुस्कुराते हुए कह रहा था, “हरिश्चंद्र! तुम अपनी परीक्षा में सफल रहे|”

मेवाड़ के महाराणा अपने एक नौकर को हमेशा अपने साथ रखते थे, चाहे युद्ध का मैदान हो, मंदिर हो या शिकार पर जाना हो। एक बार वह अपने इष्टदेव एकलिंग जी के दर्शन करने गए। उन्होंने हमेशा की तरह उस नौकर को भी साथ ले लिया।