सूत्रपात (अलिफ लैला) – शिक्षाप्रद कथा
बहुत समय पहले फारस में एक बादशाह था| वह बहुत ही न्यायप्रिय एवं प्रजापालक था| इसी कारण उसकी प्रजा उसे बहुत चाहती थी|
बहुत समय पहले फारस में एक बादशाह था| वह बहुत ही न्यायप्रिय एवं प्रजापालक था| इसी कारण उसकी प्रजा उसे बहुत चाहती थी|
एक बाबू जी थे| अंग्रेजी पढ़े-लिखे, कोट-बूट-हैट-पतलून पहनने वाले| वे सदा अंग्रेजी ही बोलते थे|
एक किसान ने एक बिल्ली पाल रखी थी| सफेद कोमल बालों वाली बिल्ली किसान की खाटपर ही रात को उसके पैर के पास सो जाती थी|
एक बड़ा भारी जंगल था, पहाड़ था और उसमें पानी के शीतल निर्मल झरने थे| जंगल में बहुत-से पशु रहते थे|
एक लड़का बड़ा दुष्ट था| वह चाहे जिसे गाली देकर भाग खड़ा होता| एक दिन एक साधु बाबा एक बरगद के नीचे बैठे थे| लड़का आया और गाली देकर भागा|
एक बार एक देवता पर ब्रह्माजी प्रसन्न हो गये| उस देवता को महर्षि दुर्वासा ने शाप दे दिया था कि ‘तू अब देवता नहीं रहेगा|’ देवता ने कहा – ‘न सही देवता|
दक्षिण अमेरिका की बात है| उन दिनों वहाँ सोने की खान निकली थी| दूर-दूर के व्यापारी और बहुत-से मजदूर वहाँ पहुँचे|
एक पुराना मन्दिर था| दरारें पड़ी थीं| खूब जोर से वर्षा हुई और हवा चली| मन्दिर बहुत-सा भाग लड़खड़ा कर गिर पड़ा| उस दिन एक साधु वर्षा में उस मन्दिर में आकर ठहरे थे|
एक ग्राम में एक लड़का रहता था| उसके पिता ने उसे पढ़ने काशी भेज दिया| उसने पढ़ने में परिश्रम किया| ब्राह्मण का लड़का था, बुद्धि तेज थी|
विलायत में अकाल पड़ गया| लोग भूखे मरने लगे| एक छोटे नगर में एक धनी दयालु पुरुष थे| उन्होंने सब छोटे लड़कों को प्रतिदिन एक रोटी देने की घोषणा कर दी|