Homeआरती संग्रहश्री भैरव जी की आरती – Shri Bharav Ji Ki Aarti

श्री भैरव जी की आरती – Shri Bharav Ji Ki Aarti

श्री भैरव जी की आरती - Shri Bharav Ji Ki Aarti

भगवान् शंकर के अवतारों मे भैरव जी का अपना ही एक विशिष्ट स्थान है| भ – से विशव का भरण, र – से रमेश, व् – व् से वमन , अर्थात सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और सहांर करने वाले शिव ही भैरव हैं| भैरव यंत्र की बहुत विशेषता मानी गई है, भैरव साधना अकाल मौत से बचाती है, तथा भूत प्रेत, काले जादू से भी हमारी रक्षा करता है|

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श्री भैरव जी की आरती इस प्रकार है:

जय भैरव देवा प्रभु जय भैरव देवा |
जय काली और गौरा कृतसेवा ||

तुम पापी उद्धारक दुख सिन्धु तारक |

भक्तों के सुखकारक भीषण वपु धारक |

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी |

महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी |

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे |

चतुर्वतिका दीपक दर्शन दुःख खोवे |

तेल चटकी दधि मिश्रित माषवली तेरी |

कृपा कीजिये भैरव करिये नहीं देरी |

पाँवों घुंघरू बाजत डमरू डमकावत |

बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषवत |

बटुकनाथ की आरती जो कोई जन गावे |

कहे ‘ धरणीधर ‘ वह नर मन वांछित फल पावे |

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