जीवन के बारे में 5 प्रेरणादायक कहानियाँ
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जब भी कभी जिंदगी आपको पतन की तरफ ले जाये तो इन प्रेरणादायक लघु कथाओं को पढ़े। यह न सिर्फ आपको मंदी के दौर से बाहर निकालेंगे बल्कि आपके भीतर जिंदगी को और भी अच्छे ढंग से जीने की चिंगारी पैदा करेंगे। जो आपके जीवन की कायाकल्प कर देगा। तो पढ़िए इन कहानियों को व अपने चेहरे पे हंसी लाये।
1सबकी ज़िन्दगी में एक कहानी होती है
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सबकी ज़िन्दगी में एक कहानी होती है
एक 24 वर्षीय लड़का ट्रेन की खिड़की से बाहर झांक रहा था तभी वो चिल्लाया :
पापा देखो पेड़ कैसे पीछे रह गए है, पिता लड़के की बात पर मुस्कुराया, साथ बैठे एक युवा दंपति ने उस लड़के के बचकाना व्यवहार को बड़े ही दीन भाव से देखा तभी लड़के ने फिर से विस्मित होते कहा पापा देखो बादल कैसे हमारे साथ भाग रहे है !!!
यह देखकर युवा दंपति से रहा नहीं गया और वे उस बुजुर्ग व्यक्ति से बोले :
आप अपने बेटे को किसी अच्छे डॉक्टर के पास क्यों नहीं लेकर जाते? उस व्यक्ति ने जवाब दिया मैं लेकर गया था, हम हॉस्पिटल से ही वापिस आ रहे है, मेरा बेटा जन्मजात नेत्रहीन था आज ही उसको नेत्र मिले है !!!
इस धरा पर रहने वाले हर व्यक्ति की अपनी एक कहानी है जब तक आप किसी की सच्चाई नहीं जानते तब तक आप उनके बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकते क्यूंकि सच आपको अचंभित कर सकता है
2अपनी समस्याओं को झाड़ दो
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अपनी समस्याओं को झाड़ दो
एक व्यक्ति का प्रिये गधा एक गहरे खड्डे में गिर गया, वो चाहकर भी उसको निकाल नहीं सकता था चाहे जितना भी यत्न करे। उसने आख़िरकार उसको जिन्दा ही उसमे दफ़नाने का फ़ैसला लिया।
ऊपर से मिट्टी फैंकी गयी तो गधे को भार महसूस हुआ उसने मिट्टी को झाड़ दिया व उसके ऊपर चढ़ गया, और मिट्टी डाली गयी, हर बार वो इसको झाड़ता जाता व ऊपर की और कदम रखता जाता, दोपहर होने तक वो जमीन पर आ गया व हरे मैदानों में चरने लगा।
अगर हम समस्याओं को भी ऐसे ही झाड़ते जाएंगे व कदम कदम करके ऊपर आते जायेगे तो हमेशा हरे मैदानों में रहेंगे।
3हाथी रस्सी
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हाथी रस्सी
एक आदमी हाथियों के सामने से गुजर रहा था, अचानक वो रुक गया, वो यह देखकर परेशाान हो गया की इतने विशाल जानवर को कैसे एक छोटी सी रस्सी से वो भी सामने की एक टांग पर बांध कर रखा जा सकता है?
कोई जंजीर नहीं कोई पिंजरा नहीं;
यह बात तो जाहिर सी थी की इतने विशालकाय हाथी कभी भी एक पल में इस रस्सी को तोड़कर जा सकते थे मगर किसी कारण से वो ऐसे नहीं कर रहे थे।
तभी उसने उनके प्रशिक्षक को देखा, उसने पूछा यह जानवर यहाँ खड़े है भागने की कोई चेष्टा भी नहीं कर रहे है आखिर क्यों?
प्रशिक्षक ने बताया जब यह छोटे थे तब हम इनको इसी साइज की रस्सी से बांधते थे जो की इनके लिए सही थी इनको तब यह था की यह उसको तोड़ नहीं सकते इसीलिए जब यह बड़े हो गए हमने इनको इसी रस्सी से बांधना जारी रखा क्यूंकि इनके दिमाग में यह बात घर कर चुकी है की यह इस बंधन को नहीं तोड़ सकते है। यही विश्वास इनको यही पर टिकाये हुए है।
आदमी यह जानकर हैरान रह गया की यह जानवर इसी विश्वास के कारण यहाँ बँधे हुए है की हम इस रस्सी को तोड़ नहीं सकते न ही आज़ाद हो सकते है इसीलिए चुपचाप यहाँ खड़े है।
इन हाथियों की तरह हम में से भी कितने लोग इसी विश्वास के साथ जीते है की उनसे नहीं हो पायेगा सिर्फ इसीलिए की वो भी ज़िन्दगी में एक बार फ़ैल हो चुके होते है?
असफलता सीखने का ही एक हिस्सा है इसीलिए हमें कभी भी संघर्ष का दमन नहीं छोड़ना चाहिए।
4आलू, अंडे व कॉफ़ी के दाने (बीन्स)
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आलू, अंडे व कॉफ़ी के दाने (बीन्स)
एक समय की बात है एक बेटी ने अपने पिता जी से कहा की उसकी ज़िन्दगी बहुत ही दुखदायक है, उसको नहीं मालूम की वो कैसे इसका सामना करे। वो हर समय इन सब से लड़ कर व संघर्ष करके थक चुकी है। एक मुसीबत का वो हल ढूंढ़ती है तो न जाने कैसे दूसरी सामने आ जाती है।
उसके पिता जी जो की एक शेफ (रसोइए ) थे उसको रसोई में ले गए, वहाँ उन्होंने तीन बर्तन लिए उसमे पानी भरा और उनको आग पर रख दिया। जब पानी उबल गया तब उन्होंने पहले बर्तन में आलू डाले, दूसरे में अंडे व तीसरे में कॉफ़ी के दाने।
वह बिना कुछ कहे बैठ गए व सबको उबलने के लिए छोड़ दिया, उनकी बेटी यह सब बड़ी व्याकुलता व हैरानी से देख रही थी, सोच रही थी की पिताजी यह सब क्या कर रहे है?
बीस मिनटों के बाद उन्होंने बर्नर को बंद किया, आलूओं को बर्तन से भर निकाला व एक कटोरे में रख दिया, अंडो को भी एक कटोरे में निकाल दिया, कॉफी को एक कप में निकाला
तब उन्होंने अपनी बेटी को पूछा तुम क्या दिख रहा है?
आलू अंडे व कॉफ़ी, उसने तेजी से जवाब देते हुए कहा
पिता जी ने कहा निकट होकर देखो व आलूओं को छू कर देखो, उसने ऐसा ही किया व जाना की आलू बहुत नरम हो गए थे। तब पिताजी ने अंडो को छूने व तोड़ने को कहा उसने ऐसा ही किया व देखा की अंडा खोल के भीतर से सख्त हो गया था। अततः उन्होंने उसको कॉफी को पीने को कहा। बेटी ने ऐसा ही किया व कॉफी पीते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी
उसने पूछा पिताजी यह सब क्या मतलब रखता है?
पिताजी ने विस्तार से समझाया की इन तीनो(आलू, अंडे, कॉफ़ी ) ने एक जैसी मुसीबत यानि की उबलते पानी को सहा। मगर सबकी प्रतिक्रिया भिन्न भिन्न थी।
आलू पानी में डालने से पहले मजबूत व सख्त था मगर पानी में डालने के बाद वह नरम व कमजोर बन गया।
अंडा नाजुक था जिसके भीतर के द्रव को इसके सख्त खोल ने बचा कर रखा था मगर पानी में जाते ही वह द्रव सख्त बन गया।
कॉफ़ी के बीन्स अपने आप में अनूठे है पानी में जाते ही इसने उनका रंग बदल दिया व एक खुशबू को जन्म दिया।
अब इनमें से तुम क्या हो? पिता ने बेटी से पूछा। जब मुसीबत तुम्हारे दरवाजे को खटखटाती है तब तुम कैसे उसका सामना करती हो?
क्या तुम आलू हो? अंडा हो या फिर कॉफी?
शिक्षा: ज़िन्दगी में बहुत कुछ हमारे आस पास घटित होता है, कुछ हमारे साथ होता है मगर सबसे महत्वपूर्ण यह होता है की इन सब के समय हमारे भीतर क्या घटित हो रहा है?
हम इनमे से क्या है?
5आइस क्रीम की डिश
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आइस क्रीम की डिश
बात उन दिनों की है जब sundae आइस क्रीम की कीमत बहुत होती थी। एक दस साल के लड़के ने होटल की कॉफी शॉप में प्रवेश किया व टेबल पर जाकर बैठ गया, वेट्रेस ने उसके आगे पानी का गिलास रख दिया।
sundae आइस क्रीम कितने की है?
50 सेंट्स, वेट्रेस ने जवाब दिया।
बच्चे ने अपनी जेब से सिक्को को निकाला व उनकी गिनती की।
सादी आइस क्रीम कितने की है? उसने पूछा। तब तक और भी कई लोग आ चुके थे जो बैठने के लिए टेबल का इन्तजार कर रहे थे, तब तक वेट्रेस भी थोड़ी व्याकुल हो चुकी थी।
बड़ी रुखाई से उसने जवाब दिया 35 सेंट्स।
छोटे बच्चे ने फिर से अपने सिक्को को गिना व कहा मैं एक सादी आइस क्रीम लूँगा।
वेट्रेस ने आइस क्रीम को लाकर मेज पर रखा बिल दिया व चली गयी। बच्चे ने भी आइस क्रीम को खाया, केशियर को बिल दिया व चला गया।
जब वेट्रेस मेज साफ करने के लिए वापिस आयी तब देखकर वह स्तबंध रह गई।
खाली डिश में बडे करीने से 15 सेण्ट उसकी टिप के रखे हुए थे।