10 प्रेरणात्मक लघु कहानियाँ जो मैंने सुनी है
लघु कथाएँ अपने आप में बहुत प्रभावशाली होती है जिनको आप आसानी से पढ़ सकते हो, समझ सकते हो, दिलो दिमाग में बैठा सकते हो बल्कि इनके अंत में हमेशा एक शिक्षा / प्रेरणा दी होती है।
उनमे से कई सच है या नहीं ये तो नहीं पता मगर इतना जरूर मालूम है की कई कहानिया तो कई सौ साल से ज्यादा समय की पुरानी है।
जो कहानिया मैं आपको बताने जा रही हूँ वो बहुत ही शिक्षाप्रद है कई तो आपको बिलकुल निरुतर कर देंगी
10बक्से से बाहर का सोचना (कल्पनात्मक सोच)
कई सौ बरस पहले इटली के एक गांव में एक व्यापारी रहता था उसने वह के एक सूद खोर जिसे सब लोन शार्क के नाम से जानते थे बहुत सा पैसा उधार लिया। वह लोन शार्क एक बुड्ढा दिखने में भद्दा सा था जिसकी उस व्यापारी की बेटी पर नजर थी वह उस से शादी करना चाहता था।
इसीलिए उसने व्यापारी के सामने एक प्रस्ताव रखने की सोची, जिससे उसका सारा कर्ज ख़त्म हो जायेगा। मगर इस में उसका स्वार्थ यह था की वो उसकी बेटी से शादी करेगा।
उसने कहा की वह एक बक्से में दो पत्थर रखेगा : काला व् सफ़ेद। बेटी को उस बक्से से पत्थर निकालना होगा, यदि काला निकला तो सारा कर्ज माफ़ हो जायेगा मगर बेटी को उससे शादी करनी होगी यदि सफ़ेद निकला तो सारा कर्ज माफ़ हो जायेगा मगर शादी नहीं करनी होगी। ऐसा बताकर उसने व्यापारी के बगीचे में से पत्थर को उठाया व् बक्से में डाला तभी बेटी ने देखा की बक्से में दोनों ही पत्थर काले रंग के है।
तभी उसने बेटी को कोई सा भी पत्थर निकालने को कहा
अब बेटी के पास सिर्फ तीन ही विकल्प थे :
- पत्थर निकालने से मना कर दे।
- दोनों पत्थर निकाल कर उसका पर्दाफाश कर दे।
- जानते हुए भी की काला पत्थर ही निकलेगा वह उस से शादी कर ले।
तब बेटी ने बड़े ही नाटकीय ढंग से बक्से में से बिना देखते हुए एक पत्थर निकाला व् उसे ज़मीन पर रखे बाकि पत्थरो में मिला दिया, व् लोन शार्क को देखते हुए कहा की उह बुरा मत मानियेगा जरा आप बक्से में से देख के बतायेगे की कोण सा पत्थर उसमे बचा है ताकि हमे पता चल सके की मैंने कोन सा पत्थर उठाया था ??? अब वह बुरी हालत में था वह खुद को कैसे सबके सामने करता उसको बताना ही पड़ा की बक्से में से काला बचा है व् आपने सफ़ेद उठाया था जिस से उसके पिता के सारे कर्जे माफ़ हो गए।
शिक्षा: हमेशा संभव है की हम बुरे हालातों से भी बाहर आ सकते यदि हम बक्से से थोड़ा बाहर आकर सोचे। जरुरी नहीं की जो विकल्प हमें दिख रहे है हम उन्ही में से ही किसी का चुनाव करे।
9मेंढको का झुण्ड (हौंसला)
एक बार मेंढको का झुण्ड जंगल से गुजर रहा था। अचानक दो मेंढक एक गहरे खड्डे में गिर गए। बाकि सदस्यों ने जब खड्डे का मुआइना किया तो देखा की वो तो बहुत गहरा है तो उन सब ने उन दोनों को कहा की अब कोई फायदा नहीं है आप इसमें से बाहर नहीं आ सकते हो बेहतर होगा की यही पर शांत होकर बैठो व् मौत का इंतज़ार करो। अब कोई भी उम्मीद नहीं की आप बच सको।
मगर उन दोनों मेंढको ने अपने प्रयासो को नहीं छोड़ा वो दोनों उन सबकी बातो को अनदेखा करके बड़ी हिम्मत से छलांग लगाने लगे ताकि वो बाहर आ सके। ऐसा उन्होंने बहुत बार किया मगर सब विफल रहा, उनके साथी मेंढक उनको समझाते रहे की ऐसा तुम नहीं बचोगे, उन दोनों में से एक ने उनकी बातों को दिमाग पे लगा लिया व् हौंसला हार गया, जिसके नतीजे स्वरुप वो मर गया। मगर दूसरे ने साहस न छोड़ा वो लगातार छलांग लगाता रहा व् परिणामस्वरूप उस गड्डे से बाहर आ गया।
उसके साथी मेंढको ने कहा की तूने हमारी आवाज नहीं सुनी? तब उसने कहा की मैं तो सुन ही नहीं सकता मुझे लगा की आप सब मेरी हिम्मत बढ़ा रहे हो, बस आपकी इन बातो से ही तो मैं बाहर निकल पाया हूँ।
शिक्षा: लोगों के शब्द दुसरो की ज़िन्दगी पर गहरा प्रभाव डालते है इसीलिए जब भी आप बोलो पहले सोचो की आप क्या बोलने जा रहे हो क्यूंकि आपके शब्द किसी की ज़िन्दगी बना भी सकते है व् किसी को मौत भी दे सकते है। इस सबमे बस थोड़ा सा ही अंतर बचता है।
8एक पौंड मक्खन (ईमानदारी)
एक किसान था जो अक्सर एक बेकर को एक पौंड मक्खन बेचता था। एक बार उस बेकर ने उस मक्खन को तोलने का सोचा की देखू मुझे सही मात्रा में मक्खन मिल रहा है या नहीं जब उसने ऐसा किया तो मक्खन कम पाया, उसको किसान पर बहुत गुस्सा आया तो वह उस किसान को कचिहिरी ले गया।
वह पर जज ने उस किसान से पूछा क्या तुम मक्खन को किसी तरीके से तोलते हो ? उस ने जवाब दिया : साहिब मैं तो बहुत पुरातन स्व्भाव का व्यक्ति हु मेरे पास कोई भी तोलने का साधन नहीं है, है मेरे पास एक पैमाना है जिससे मैं मक्खन बेकर को देता हूँ।
जज ने पूछा आखिर तुम कैसे बेकर को मक्खन देते हो ??
किसान ने बताया : साहिब यह बेकर मुझसे कई समय से मक्खन ले रहे है व् मैं इनसे एक पौंड ब्रेड लेता हूँ, यह जब भी रोज़ाना ब्रेड लाते है तभी मैं इसी ब्रेड को पैमाने पर रखता हूँ व् उसके अनुपात में मक्खन तोलकर देता हूँ।
अगर किसी को दोष देना ही है तो इन बेकर को दीजिये मुझको नहीं।
शिक्षा: आप जैसा किसी को दोगे वैसे ही बदले में पाओगे, इसीलिए किसी को भी कभी धोखा देने की कोशिश न करे।
7तितली (संघर्ष)
एक आदमी को एक तितली का कोकून मिला, एक दिन उसमे से एक छोटा सा रास्ता बना, वह वही पर बैठ गया व् घंटो देखता रहा की कैसे वो तितली अपना पूरा जोर लगा रही थी उस छोटे से छेद में से बाहर आने के लिए मगर कुछ नहीं हुआ।
अचानक से उस तितली ने अपना जोर लगाना बंद कर दिया ऐसा लगा मनो वह उस कोकून में फस सी गयी है। उस आदमी ने इस तितली की मदद करने की सोची, उसने कैंची ली व् उस कोकून को काट दिया ऐसा करने से वह तितली बाहर आ गयी, वो बुरी तरह से थकी हुई दिख रही थी, उसका सारा जिस्म सुजा हुआ था, उसके पंख छोटे से थे व् फड़फड़ा रहे थे।
उस आदमी को कुछ नहीं सुझा वो उसके पास बैठा रहा ताकि उस तितली के पंख विकसित हो जाये व् वह उड़ सके मगर ऐसा नहीं हुआ, वो तितली सूजे हुए शरीर व् कमजोर पंखो से वही आस पास घूमती रही मगर कभी भी उड़ न सकी उस व्यक्ति के दया भाव के बावजूद वो इस बात से अनजान था का यह सब इस भगवन की माया है, इस तितली का संघर्ष करके उस कोकून से बाहर निकलने से एक खास द्रव उसके शरीर से पंखो तक जाना था जिस से उसके पंखो को शक्ति मिलनी थी ताकि वो भी खुले गगन में उड़ सके।
शिक्षा: हमारी संघर्ष हमें ज़िन्दगी में मजबूती देती है, बिना इसके हम कभी भी मजबूत नहीं बन सकते न ही विकसित हो सकते है, इसीलिए हमारे लिए यह जरुरी है की हम अपने संघर्षो व् चुनौतियों का खुद से ही सामना करे न की दुसरो पर निर्भर हो की वह हमें इन विपत्तियों से बाहर निकाले।
6अपने गुस्से पर काबू रखे (गुस्सा)
एक बार की बात है एक छोटा सा लड़का था उसका गुस्सा बहुत बुरा था उसके पिता जी ने उसकी इस आदत को सुधारने के लहजे से उसको एक कीलो का भरा बैग दिया व् कहा जब भी तुम्हे गुस्सा आएगा तभी तुम एक कील दीवार पर ठोकोगे।
पहले दिन उस बालक ने 37 कीले दिवार में ठोकी।
अगले कुछ हफ्तों में उस बालक का गुस्सा शांत होता गया जिस कारण थूकने वाली कीलो की गिनती भी कम होती गयी। उसने जाना की गुस्से को शांत करना ज्यादा आसान है बजाए दिवार पर कीले ठोकने के।
कुछ दिनों बाद बालक का गुस्सा बिलकुल काबू में आ गया वो बड़ी ख़ुशी से यह बात बताने के लिए अपने पिता जी के पास गया, तब उन्होंने कहा अब से तुम हर रोज़ उन कीलो को दिवार से निकालोगे जिनको तुमने गुस्से के वक़्त ठोका था।
कुछ दिनों बाद उस बालक ने कहा पिता जी वह से सारी कीले निकल गयी है। तब पिता जी उस को उस दिवार के पास ले गए व् उसको कहा देखो चाहे इस से साडी कीले निकल गयी है मगर अभी भी इसके निशान इस पर बाकि है जो कभी भी नहीं जायेगे, तुम गुस्से में किसी को चाकू मर दो फिर सॉरी बोलके निकाल भी दो तबी भी उसका जख़्म का निशान तो रह ही जायेगा
शिक्षा: अपने क्रोध पर नियंत्रण रखे कभी भी आक्रोश में आकर ऐसी बात न कह दे की आपको सारी उम्र उसका पछतावा हो, क्यूंकि कई बार कुछ चीजों को आप कभी भी ज़िन्दगी में वापिस नहीं ले सकते है।
5अंधी लड़की (बदलाव)
एक अंधी लड़की थी जो खुद से बहुत नफरत करती थी क्यूंकि वो अंधी थी। वो सिर्फ अपने प्रेमी से बहुत प्रेम करती थी क्यूंकि वो हमेशा उसके लिए हाजिर था उसका ध्यान रखता था। लड़की कहती थी अगर वह देख सके तो उस लड़के से शादी करेगी।
एक बार किसी ने उसको नेत्र दान कर दिए व् वह साडी दुनिया को यहाँ तक की अपने प्रेमी को भी देखने लायक हो गयी। तभी उसके प्रेमी ने उस से शादी करने की बात की, तब लड़की ने जाना की लड़का तो अँधा है उसने उस के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
वो लड़का निराशा ने ग्रस्त रोता हुआ वहां से चला गया, बाद में उसने उस लड़की को एक ख़त लिखा व् कहा :
मेरी आँखों का ख्याल रखना
शिक्षा: जब हमारी परिस्तिथियाँ बदलती है तो हमारे दिमाग भी बदल जाते है। कुछ लोग वैसे नहीं देख पाते जैसा वह पहले थे न ही वह तारीफ करने लायक रहते है।
इस कहानी से बहुत सी बाते शिक्षा रूप में ग्रहण की जा सकती है।
4हाथी रस्सी
एक आदमी हाथियों के सामने से गुजर रहा था, अचानक वो रुक गया, वो यह देखकर परेशाान हो गया की इतने विशाल जानवर को कैसे एक छोटी सी रस्सी से वो भी सामने की एक टांग पर बांध कर रखा जा सकता है ????
कोई जंजीर नहीं कोई पिंजरा नहीं;
यह बात तो जाहिर सी थी की इतने विशालकाय हाथी कभी भी एक पल में इस रस्सी को तोड़कर जा सकते थे मगर किसी कारण से वो ऐसे नहीं कर रहे थे।
तभी उसने उनके प्रशिक्षक को देखा, उसने पूछा यह जानवर यहाँ खड़े है भागने की कोई चेष्टा भी नहीं कर रहे है आखिर क्यों ???
प्रशिक्षक ने बताया जब यह छोटे थे तब हम इनको इसी साइज की रस्सी से बांधते थे जो की इनके लिए सही थी इनको तब यह था की यह उसको तोड़ नहीं सकते इसीलिए जब यह बड़े हो गए हमने इनको इसी रस्सी से बांधना जारी रखा क्यूंकि इनके दिमाग में यह बात घर कर चुकी है की यह इस बंधन को नहीं तोड़ सकते है। यही विश्वास इनको यही पर टिकाये हुए है
आदमी यह जानकर हैरान रह गया की यह जानवर इसी विश्वास के कारण यहाँ बँधे हुए है की हम इस रस्सी को तोड़ नहीं सकते न ही आज़ाद हो सकते है इसीलिए चुपचाप यहाँ खड़े है।
इन हाथियों की तरह हम में से भी कितने लोग इसी विश्वास के साथ जीते है की उनसे नहीं हो पायेगा सिर्फ इसीलिए की वो भी ज़िन्दगी में एक बार फ़ैल हो चुके होते है ???
असफलता सीखने का ही एक हिस्सा है इसीलिए हमें कभी भी संघर्ष का दमन नहीं छोड़ना चाहिए।
3रास्ते की रुकावट
एक बार की बात है एक बहुत ही अमीर व् जिज्ञासु राजा था। एक बार उसने रास्ते में एक बहुत ही विशाल पत्थर रख दिया व् उसके पास ही छुप कर बैठ गया यह देखने के लिए की कोई व्यक्ति इसको हटाएगा या नहीं।
उस रास्ते पर से पहले गुजरने वाले लोग राजा के बहुत ही धनी व्यापारी व् दरबारी थे, पत्थर को हटाने की बजाय वह सब उसके पास से निकल गए, बल्कि कईयों ने तो राजा को ही दोष दे दिया की वह रास्ते की सही ढंग से मुरम्मत ही नहीं करवाते है। किसी ने भी उस पत्थर को वहाँ से निकलने की कोशिश भी नहीं की।
आख़िरकार एक किसान वहाँ से गुजरा उसके हाथ सब्जियों से लदे हुए थे जब उसने उस पत्थर को देखा तो बजाय औरो की तरह वह से कन्नी नहीं कटी बल्कि अपने सारे सामान को एक तरफ रखा व् पत्थर को रास्ते से हटाने की कोशिश करने लगा, उसने बहुत परिश्रम किया व् उस पत्थर को हटाने में सफल हो गया।
तब उसने अपना बोझा उठाया व् जाने को हुआ तभी उसकी नज़र वहाँ पड़ी यहाँ पर वो पत्थर रखा हुआ था उस जगह पर एक पर्स रखा था, उसने वो पर्स उठाया व् खोला उसमे बहुत सरे सोने के सिक्के थे साथ ही एक पर्ची भी थी जिस पर लिखा था जो कोई भी इस पत्थर को रास्ते से हटाएगा यह मोहरे राजा की तरफ से उसके लिए इनाम स्वरुप है।
राजा ने किसान को वह समझाया जो हम सभी कई बार नहीं समझ पाते है, हर रूकावट हमें एक अवसर देती है अपने हालातो को अच्छा बनाने का।
2पिल्ले बिकाऊ है (समझ)
एक आदमी ने अपने घर के बाहर दरवाजे पर एक बोर्ड पर लिखा था : यहाँ पिल्ले बेचे जाते है।
ऐसे बोर्ड हमेशा बच्चो को अपनी तरफ आकर्षित करते है, ऐसे ही एक बच्चा उस तरफ आया और पूछा अंकल आप कितने में पिल्ले बेचते हो जी।
उन्होंने जवाब दिया की यही कोई 30 से 50 डॉलर के बीच।
तब उस छोटे से बच्चे ने अपनी जेब को टटोला व् गिना और बोला मेरे पास तो सिर्फ 2 . 37 डॉलर ही है, क्या मैं उन पिल्लो को देख सकता हूँ?
दूकानदार मुस्कराया व् उसने सीटी मारी तभी भीतर से एक महिला निकली और अपने साथ छोटे छोटे फर वाले 5 पिल्ले ले आयी, जिनमे से एक पिल्ला सबसे पीछे चल रहा था बाकि सब आगे दौड़ रहे थे।
बच्चे ने उस वाले पिल्ले को सीटी मार् कर इशारा किया व् पूछा यह वाला पिल्ला सबसे पीछे क्यों है ?
दूकानदार ने बताया इसको पशु डॉक्टर को दिखाया है उसके अनुसार इसके हिप का सॉकेट नहीं है जिस कारण यह अब साडी उम्र ऐसे ही लंगड़ा कर चलेगा। यह औरो की भांति दौड़ भाग नहीं कर पायेगा।
बच्चा उस पिल्ले के देखकर बहुत खुश हो गया और कहा मुझे यही वाला पिल्ला चाहिए।
दूकानदार ने कहा तुम इसे नहीं ले सकते अगर फिर भी तुम इसीको चाहते हो तो मई यह तुम बिलकुल फ्री दे दूंगा
यह सुनकर लड़का थोड़ा परेशान हो गया उसने दूकानदार की आँखों में देखा व् कहा मैं इसको ऐसे नहीं लूंगा। तब दूकानदार ने कहा यह तुम्हारे साथ न तो खेल सकता है न ही भाग सकता है तुम इसे मत लो।
लड़के ने कहा इसकी भी उतनी ही कीमत है जितनी बाकि पिल्लो की है यह भी अपने आप में मूल्यवान है मैं आपको इस वक़्त 2 . 37 डॉलर देता है व् हर महीने 50 सेंट्स दूंगा जब तक इसकी सारी कीमत अदा न हो जाये।
तभी वह दूकानदार हैरान हो गया जब उस लड़के ने अपनी पैंट को ऊपर किया नीचे बहुत बुरी तरह से मुड़ी हुई अपंग टाँग थी जिसको एक मैटल से जोड़ा हुआ था।
उसने दूकानदार की तरफ देखा वह उसको बड़ी नम्रता से कहा मई भी भाग नहीं सकता, इस पप्पी को भी ऐसा कोई चाहिए जो इसको समझ सके !!!
1चुंबनों से भरा हुआ बक्सा (प्यार)
कुछ समय पहले की बात है एक बाप ने अपनी 3 साल की बेटी को बहुत डांटा क्यूंकि उसने एक बहुत ही कीमती गोल्डन पेपर खराब कर दिया था। वह बच्ची असल में इक बक्से को सजाने की कोशिश कर रही थी जिसको उसने क्रिसमिस पेड़ के निचे रखना था।
अगली सुबह बच्ची उस बक्से को अपने पिता जी के पास लायी और कहा : पापा यह आपके लिए है।
पिता को अपने व्यवहार पर शर्मिंदगी महसूस होने लगी जिस तरह से उसने बच्ची को डांटा था मगर उसका गुस्सा फिर से हावी हो गया जब उसने देखा की यह बक्सा तो बिलकुल खाली है।
वह अपनी बेटी पर चिल्लाया क्या तुम्हे नहीं पता किसी को जब कोई तोहफा देते है तो वह खाली नहीं होना चाहिए ???
बेटी ने आंसू भरी आँखों से पिता को देखा व् कहा : पापा यह खाली नहीं है जब मैंने इसे आपको दिया था तो इसमें बहुत सारी चुंबन डाले थे जो सारे आपके लिए ही थे।
यह सुनकर पिता पिघल गया उसने बच्ची को गले लगा लिया व् उससे माफी मांगने लगा।
बहुत कम समय में ही एक दुर्घटना में उस बच्ची की मौत हो जाती है।
उसके पिता ने कई सालो तक उस गोल्डन बक्से को अपने सिरहाने रखा, जब भी कभी वह निराश होता तो उस बक्से में से एक काल्पनिक चुम्बन निकालता और अपनी बच्ची के प्यार को याद करता।
शिक्षा: प्यार दुनिया का सबसे बड़ा व् कीमती तोहफा है।
इन कहानियों को पढ़ने का बहुत बहुत शुक्रिया, इनमे से कई कहानियों ने मुझे कुछ पलो के लिए मौन कर दिया सभी ने मुझे कुछ न कुछ सोचने पर विवश कर दिया
आपको कौन सी कहानी ज्यादा अच्छी लगी, नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें