Homeघरेलू नुस्ख़ेबीमारीयों के लक्षण व उपचारअल्सर के 8 घरेलु उपचार – 8 Homemade Remedies for Ulcers

अल्सर के 8 घरेलु उपचार – 8 Homemade Remedies for Ulcers

अल्सर का शाब्दिक अर्थ है – घाव| यह शरीर के भीतर कहीं भी हो सकता है; जैसे – मुंह, आमाशय, आंतों आदि में| परन्तु अल्सर शब्द का प्रयोग प्राय: आंतों में घाव या फोड़े के लिए किया जाता है| यह एक घातक रोग है, लेकिन उचित आहार से अल्सर एक-दो सप्ताह में ठीक हो सकता है|

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अल्सर के 8 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

1. संतरा

यदि पेट में जांच कराने के बाद घाव का पता चले तो संतरे का रस सुबह-शाम आधा-आधा कप इस्तेमाल करें| इससे घाव भर जाता है|


2. आंवला, पानी, सोंठ, जीरा और मिश्री

पिसे हुए आंवले का दो चम्मच चूर्ण रात को एक कप पानी में भिगो दें| सुबह उसमें आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ, चौथाई चम्मच जीरा तथा दो चम्मच पिसी हुई मिश्री मिलाकर सेवन करें|


3. केला और तुलसी

अल्सर के रोगियों को दो केले कुचलकर उनमें तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच की मात्रा में मिलाकर खाना चाहिए|


4. जीरा, सेंधा नमक, घी और हींग

यदि अल्सर के कारण पेट में दर्द की शिकायत हो तो एक चम्मच जीरा, एक चुटकी सेंधा नमक तथा दो रत्ती घी में भुनी हुई हींग – सबको चूर्ण के रूप में सुबह-शाम भोजन के बाद खाएं| ऊपर से मट्ठा पिएं|


5. हरड़, मुनक्का और अजवायन

छोटी हरड़ दो, मुनक्का बीज रहित दो तथा अजवायन एक चम्मच-तीनों की चटनी बनाकर दो खुराक करें| इसे सुबह-शाम लें|


6. केला और हींग

कच्चे केले की सब्जी बनाकर उसमें एक चुटकी हींग मिलाकर खाएं| यह अल्सर में बहुत फायदा करती है|


7. आंवला और अनार

एक चम्मच आंवले के मुरब्बे का रस तथा एक कप अनार का रस – दोनों को मिलाकर सुबह के समय भोजन से पहले लें|


8. हरड़, अजवायन, धनिया, हींग, मट्ठा और जीरा

छोटी हरड़ एक, अजवायन एक चम्मच, धनिया दो चम्मच, जीरा एक चम्मच तथा हींग दो रत्ती – सबका चूर्ण बनाकर दो खुराक करें| भोजन के बाद एक-एक खुराक मट्ठे के साथ लें|

 

अल्सर में क्या खाएं क्या नहीं

इस रोग में भोजन के बाद आमाशय के ऊपरी हिस्से में दर्द होने लगता है| इसलिए रोगी को थोड़ी-सी हींग पानी में घोलकर लेना चाहिए| रोगी को खाली दूध, दही, खोए तथा मैदा की चीजें नहीं खानी चाहिए| यदि दोपहर को केवल उबली हुई सब्जियों जैसे – लौकी, तरोई, परवल, पालक, टिण्डे आदि का सेवन करें तो रोग जल्दी चला जाता है| अल्सर में मूली, खीरा, ककड़ी, तरबूज, खट्टी चीजें जैसे – इमली और खटाई नहीं खानी चाहिए| सुबह नाश्ते में हल्की चाय एवं बिस्कुट लेना चाहिए| रात को हल्का भोजन करना बहुत लाभदायक होता है| तम्बाकू, कैफीन, अंडा, मांस, मछली, की तकलीफ को बढ़ा देता है, इसलिए इनका भी प्रयोग न करें|

अल्सर के रोगी को भरपेट भोजन नहीं करना चाहिए| थोड़ा-थोड़ा भोजन पांच-छ: बार में करें, क्योंकि भोजन का पचना पहली शर्त होती है| भरपेट भोजन से अल्सर पर दवाब पड़ सकता है और खाया-पिया उल्टी के रूप में निकल सकता है| चाय बहुत हल्की पिएं| यदि चाय की जगह पपीते, मौसमी, अंगूर या सेब का रस लें तो लाभकारी होगा| भोजन के बाद टहलने का कार्य अवश्य करें| पानी उबला हुआ सेवन करें| भोजन के बाद अपनी टुण्डी पर सरसों का तेल लगा लें| रात को सोने से पूर्व पेट पर सरसों का तेल मलें| पैर के तलवों पर भी तेल की मालिश करें|

 

अल्सर का कारण

अधिक मात्रा में चाय, कॉफी, शराब, खट्टे व गरम पदार्थ, तीखे तथा जलन पैदा करने वाली चीजें, मसाले वाली वस्तुएं आदि खाने से प्राय: अल्सर हो जाता है| इसके अलावा अम्युक्त भोजन, अधिक चिन्ता, ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, कार्यभार का दबाव, शीघ्र काम निपटाने का तनाव, बेचैनी आदि से भी अल्सर बन जाता है| पेप्टिक अल्सर में आमाशय तथा पक्वाशय में घाव हो जाते हैं| धीरे-धीरे ऊतकों को भी हानि पहुंचनी शुरू हो जाती है| इसके द्वारा पाचक रसों की क्रिया ठीक प्रकार से नहीं हो पाती| फिर वहां फोड़ा बन जाता है |

 

अल्सर की पहचान

पेट में हर समय जलन होती रहती है| खट्टी-खट्टी डकारें आती हैं| सिर चकराता है और खाया-पिया वमन के द्वारा निकल जाता है| पित्त जल्दी-जल्दी बढ़ता है| भोजन में अरुचि हो जाती है| कब्ज रहता है| जब रोग बढ़ जाता है तो मल के साथ खून आना शुरू हो जाता है| पेट की जलन छाती तक बढ़ जाती है| शरीर कमजोर हो जाता है और मन बुझा-बुझा सा रहता है| रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है| वह बात-बात पर क्रोध प्रकट करने लगता है|

NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

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